हिंदू धर्म त्याग कर ईसाई बन चुके 14 आदिवासियों की घर वापसी पर हिंदुओं में खुशी की लहर।
अब यह जगजाहिर है की विदेशों से मिल रही फंडिंग के चलते सारे हिंदुस्तान में हिंदुओं को बहुत तेजी से धर्म परिवर्तन करवा के ईसाई बनाया जा रहा है। हालांकि यह सब देखते हुए भी हिंदू समाज कुछ भी चिंता नहीं कर रहा है। और बड़ी बात यह कि बड़े-बड़े मठाधीश, धर्म प्रचारक, कथावाचक इत्यादि सभी इसे देखकर अनदेखा करते रहते हैं, जिस जिस कारण हिंदुओं की एक बहुत बड़ी संख्या धर्म परिवर्तन करके स्थाई बन चुकी है। फिर भी कभी कभार कुछ ऐसे लोग भी देखने को मिलते हैं जो वास्तव में अपने धर्म के प्रति चिंता करने वाले हैं और जमीनी स्तर पर धर्म के कार्य कर भी रहे हैं।
मिली जानकारी के अनुसार यह हुआ है झारखंड के संथाल परगना के साहिबगंज क्षेत्र में जहां 14 आदिवासी पहाड़िया परिवारों ने पहले हिंदू धर्म त्याग दिया था और ईसाई बन गए थे परंतु अब वह स्थानीय हिंदू संगठनों और भाजपा के लोगों के प्रयासों से अब पुनः घर वापसी कर हिंदू धर्म में दीक्षित हो गए हैं।
यह 14 आदिवासी हिंदू परिवार जो मिशनरियों के जाल में फंसकर ईसाई बन गए थे अब उन्होंने फिर से अपना भगवा ओढ़ लिया है तथा जय श्रीराम के नारे लगाते हुए अपने हिंदू धर्म मैं वापिस आ गए हैं। बता दें कि मिशनरियों द्वारा इन लोगों के जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ भाजपा व हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने मोर्चा खोलते हुए यह पहल की तथा 14 परिवारों को भगवा ओढ़ाकर वापस हिंदू धर्म में लेकर आए हैं।
ईसाई मिशनरियां अधिकतर उन्हीं इलाकों में सरगर्म रहती हैं जहां पर लोग कम पढ़े लिखे हैं, गरीब हैं। आदिवासी क्षेत्रों में गरीब और अनपढ़ होने के कारण भोले भाले हिंदू इन ईसाई मिशनरियों के बहकावे में आसानी से आ जाते हैं। इसके साथ ही आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में मिशनरियां धर्मांतरण का कार्य निरंतर करती ही रहती हैं। इन घर वापसी करने वाले 14 परिवारों के अनुसार उन्हें भ्रमित करके ईसाई बनाया गया था, जिसका उन्हें अब बहुत खेद है। इन 14 परिवारों के अनुसार इनके आराध्य हमेशा से भगवान शिव ही रहे हैं। अब स्थानीय हिंदू संगठनों ने इन आदिवासियों के हो रहे धर्म परिवर्तन के खिलाफ मोर्चा खोला है तथा इन्हें समझा-बुझाकर फिर से हिंदुत्व अपनाने की प्रेरणा दी जा रही है जिसमें इन्हें सफलता भी मिली है और ये आदिवासी परिवार इन के प्रयासों से हिंदू धर्म में वापस आए हैं।
ये घर वापसी पूरे हिंदू विधि विधान से श्री गंगा जी के तट पर हुई तथा घर वापसी के बाद इन परिवारों ने जयश्रीराम व धर्म के जयकारे भी लगाए। यहाँ आपको बता दें कि आदिम जनजाति के सफाहोड मरांग गुरु यानी भगवान शिव की पूजा करते हैं, और विशुद्ध रूप से शाकाहारी होते हैं। मिशनरियों द्वारा इन लोगों के जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ भाजपा व हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने मोर्चा खोलते हुए यह पहल की तथा इन 14 परिवारों को भगवा ओढ़ाकर वापस हिंदू धर्म में लेकर आए।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, साहिबगंज के मां गंगा के पावन तट स्थित मुक्तेश्वर धाम मंदिर परिसर में ‘धर्म वापसी का आयोजन संपन्न हुआ है। इस बारे में भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय मंत्री बजरंगी प्रसाद यादव के नेतृत्व में हुए इस कार्यक्रम के दौरान पूरा गंगा घाट हर हर महादेव और जय गंगा मैया के जयकारों से गूंज उठा। ये सभी परिवार आदिम जनजाति के मंडरो प्रखंड के जोकमारी गांव के हैं, जो मिशनरियों के बहकावे में आकर ईसाई मत में चले गए थे।
इस बारे में बीजेपी किसान मोर्चा के राष्ट्रीय मंत्री बजरंगी प्रसाद यादव ने कहा कि पहाड़िया आदिम जनजाति के लोगों को बरगलाकर, बहला फुसलाकर धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। जिसके बादअपने लोगों को वापस लाने का अभियान शुरू किया गया है। उन्होंने चेतावनी भी दी कि बरगलाकर या जबरन किसी का भी धर्म परिवर्तन कराने वालों को अब नहीं बख्शा जाएगा। उन्होंने कहा कि उनका मंच धर्मांतरण के शिकार लोगों की धर्म वापसी के अभियान अब बहुत जोर शोर से चलाएगा।