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“Shafiq killed his pregnant sister by inserting a dagger in her stomach, slit the throat of her Hindu husband and now.”
छुरी खरबूजे पे गिरे या खरबूजा छुरी पे गिरे कटना तो खरबूजे ने ही है।
सनातन🚩समाचार🌎 एक वहशी दरिंदे ने अपने गर्भवती बहन के पेट में खंजर मार मार कर उसका कत्ल कर दिया था और साथ ही उसने अपने हिंदू जीजा का भी गला काट दिया था। इसके बाद अब उसvशैतान को अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुना दी है।
इस दोहरे हत्याकांड को अंजाम दिया गया था 15 सितंबर 2016 को। इसके बाद अब महाराष्ट्र के थाने में एक जिला अदालत ने हिंदू युवक का गला काटने और उसकी गर्भवती बहन की हत्या करने के अपराध में शफीक शमसुद्दीन मंसूरी नाम के एक शैतान को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। दरअसल शफीक अपनी कजिन बहन के द्वारा एक हिंदू लड़के से शादी करने पर बेहद नाराज था।
उनकी शादी के बाद वह लगातार 1 साल तक उन्हें ढूंढता रहा और जब उसे उनके ठिकाने का पता चल गया तो उसने उनकी हत्या करने की साजिश रचनी चालू कर दी थी। पता चला है कि घटना से पहले शफीक ने अपनी बहन के घर जाकर पहले अपने जीजा विजय कुमार को बहुत सारी शराब पिला दी और आधी रात के समय जब विजय पूरी तरह नशे में हो गया तब उसने बड़ा खंजर निकालकर उसका गला काट दिया।
इस बीच विजय के कराहने की आवाजे सुनकर सुफिया/प्रिया यादव की नींद खुल गई और वह अपने पति को बचाने के लिए लपकी। तब शफीक ने प्रिया यादव के पेट में कई बार खंजर से वार कर दिए हालांकि वह जानता था की उसकी बहन गर्भवती है। जब प्रिया यादव ने शफीक से अपने अजन्मे बच्चे का वास्ता देकर कहा कि वह उसकी हत्या न करे तब शफीक ने कहा कि “तू तो हमारे लिए तब ही मर गई थी जब तूने इस काफिर से शादी की थी” हमें यह बच्चा नहीं चाहिए।
इस दोहरे हत्याकांड को अंजाम देने के बाद शफीक मौके से फरार हो गया और साथ ही उसने अपना फोन भी बंद कर लिया था। इसके बाद पुलिस ने काफी प्रयास करने के बाद शफीक को गिरफ्तार कर लिया था। मंसूरी के खिलाफ अभियोजन पक्ष की ओर से 12 लोगों ने अदालत में गवाही दी है। इसी प्रक्रिया में यह बात सामने आई की कैसे मंसूरी ने दोनों लोगों की हत्या करने की साजिश एक साल पहले ही रचनी चालू कर दी थी, और बकरीद के ठीक बाद 15 सितंबर 2016 को उसने बेरहमी से इस दोहरे हत्याकांड को अंजाम दे दिया था।
बता दें कि मंसूरी ने अपने जीजा और अपनी बहन को बहुत बेरहमी से मारा था जिसके बारे में उनके बुरी तरह से क्षत बिक्षित शवों को देखकर पता चला था। इस हत्याकांड की जानकारी तब हुई जब अगले दिन पड़ोसियों को उनके घर से तेज दुर्गंध आनी शुरू हो गई। तब उन्होंने तुरंत इसकी जानकारी पुलिस को दे दी, इसके बाद इस हत्याकांड का दुनिया को पता चला। इस हत्याकांड के मामले में चल रही सुनवाई के बाद अदालत ने शफीक शमसुद्दीन मंसूरी को आजीवन कारावास की सजा सुना दी है।
सजा सुनाते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जीएस देशमुख ने शफीक को आईपीसी की धारा 302 और अन्य धाराओं के अंतर्गत दोषी पाते हुए उस पर 1.10 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है।