Muslim boy got a shock, High Court gave this decision regarding his marriage with Hindu girl.”

हिंदू धर्मगुरुओं की विफलता के बाद क्या अब अदालतें बचाएंगी हिंदू लडकियों को ?

सनातन🚩समाचार🌎 एक मुस्लिम लड़के की आशाओं पर तब पानी फिर गया जब हाईकोर्ट ने उसके एक हिंदू लड़की के साथ विवाह को मान्यता देने से साफ इनकार कर दिया और निर्णय दे दिया की उनकी ये शादी वैध नहीं मानी जाएगी और इस्लामी कानून भी इस विवाह के मान्यता नहीं देता है।

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में एक मुस्लिम युवक और हिंदू युवती ने अपना विवाह रजिस्टर्ड करने हेतु आवेदन दिया था और साथ ही सुरक्षा की भी मांग की थी, जिसे हाईकोर्ट ने 27 मई 2024 को नकार दिया है। हाई कोर्ट में हिंदू लड़की के परिजनों ने इस विवाह का विरोध करते हुए कहा था कि अगर यह विवाह हुआ तो सारे में उनका बहिष्कार कर दिया जाएगा, इसके साथ ही परिवार ने यह भी कहा था कि उनकी लड़की घर से इस मुस्लिम युवक के साथ जाते समय काफी सारी ज्वेलरी भी अपने साथ ले गई थी।

मुस्लिम युवक और हिंदू लड़की की ओर से अदालत में प्रस्तुत हुए वकील ने अदालत को बताया था कि लड़की शादी के बाद अपने हिंदू धर्म का पालन करती रहेगी और मुस्लिम युवक अपने इस्लाम मजहब का पालन करता रहेगा। इस मामले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की जबलपुर मुख्य बेंच में जस्टिस गुरपाल सिंह अहलूवालिया ने निर्णय सुनते हुए कहा है कि मुस्लिम लड़के और हिंदू लड़की के बीच विवाह को मुस्लिम पर्सनल ला के तहत अनियमित विवाह माना जाएगा।

बेशक उन्होंने स्पेशल मैरिज एक्ट के अंतर्गत विवाह किया हो। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि मुस्लिम कानून के अनुसार किसी मुस्लिम लड़के का किसी ऐसी लड़की से विवाह वैध नहीं है जो मूर्तिपूजक या अग्निपूजक हो। भले ही विवाह स्पेशल मैरिज एक्ट के अतरार्गत रजिस्टर्ड हो, लेकिन वो विवाह वैध नहीं माना जाएगा, इसे अनियमित विवाह ही माना जाएगा।

युवक युवती के वकील ने कोर्ट को ये भी बताया कि दो धर्मों के लोग पर्सनल लॉ के तहत विवाह नहीं कर सकतें, लेकिन स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत ये वैध होगा। इस पर कोर्ट ने कहा कि स्पेशल मैरिज एक्ट को धार्मिक कृयाकलापों के तहत चुनौती तो नहीं दी जा सकती, लेकिन पर्सनल लॉ के अंतर्गत ऐसा विवाह मान्य नहीं होगा। ऐसे में ये विवाह एक अनियमित विवाह होगा। हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले (मोहम्मद सलीम और अन्य बनाम शम्सुद्दीन) का रेफरेंस देते हुए निर्णय सुनाया।

हाई कोर्ट ने कहा, जो विवाह पर्सनल लॉ के तहत मान्य नहीं, वो स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत भी मान्य नहीं हो सकती। स्पेशल मैरिज एक्ट की धारा-4 के हिसाब से विवाह तभी हो सकता है, जब दोनों में से कोई एक दूसरे का धर्म स्वीकार कर ले।

हाई कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि वो बिना विवाह के साथ नहीं रहना (लिव-इन-रिलेशनशिप में) चाहते और न ही हिंदू लड़की इस्लाम अपना रही।

By Ashwani Hindu

अशवनी हिन्दू (शर्मा) मुख्य सेवादार "सनातन धर्म रक्षा मंच" एवं ब्यूरो चीफ "सनातन समाचार"। जीवन का लक्ष्य: केवल और केवल सनातन/हिंदुत्व के लिए हर तरह से प्रयास करना और हिंदुत्व को समर्पित योद्धाओं को अपने अभियान से जोड़ना या उनसे जुड़ जाना🙏

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