विश्व के सभी हिन्दुओ को “हिन्दू साम्राज्य दिवस” की प्रेरणादायी शुभकामनाएं🌹
बहुत कम लोगों को पता होगी आज के दिन की पावनता और पवित्रता🙏
आज ही वो दिन है जब हिंदवी साम्राज्य के स्वप्न को ले कर एक महान हिन्दू शासक छत्रपति शिवाजी महराज का राज्याभिषेक हुआ था, और मुगलों को उखाड़ फेंकने के लिए हिन्दुओ ने एक नए जोश से वार करना शुरू कर दिया था, जिसका प्रतिफल ये रहा था की अत्याचार का दूसरा रूप इस्लामिक आक्रांता औरंगज़ेब दक्षिण में ही दफन कर दिया गया था।
आज के पावन दिन को नकली और चाटुकार इतिहासकार किसी हालत में भी जनमानस में प्रसिद्ध नहीं होने देना चाहते थे, क्योकि उनको खुद के बनाये तथाकथित धर्म निरपेक्षता के नकली सिद्धांतो को जीवित भी रखना था और अपनी बिकी हुई कलम के लिए मिलने वाली स्याही को भी भीख में लेना था।
राज्याभिषेक का दिवस
हिंदू साम्राज्य दिवस ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी – यह छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक का दिवस है। वो पावन दिन आज ही था। शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक होना यह केवल शिवाजी महाराज की विजय की बात नहीं है। काबूल-जाबूल पर आक्रमण हुआ तब से शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के समय तक इस देश के धर्म, संस्कृति व समाज का संरक्षण कर हिंदुराष्ट्र की सर्वांगीण उन्नति करने के जो प्रयास चले थे, वे बार बार विफल हो रहे थे। राजा लड रहे थे, विभिन्न प्रकार की रणनीति का प्रयोग कर रहे थे, संत लोग समाज में एकता लाने के, उन को एकत्र रखने के, उनकी श्रद्धाओं को बनाये रखने के लिये अनेक प्रकार के प्रयोग चला रहे थे। कुछ तात्कालिक सफल हुए और कुछ पूर्ण विफल हुए।
लेकन जो सफलता समाज को चाहिये थी वह कहीं दिख नहीं रही थी। इन सारे प्रयोगों के प्रयासों की अंतिम सफल परिणति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक है। यह केवल शिवाजी महाराज की विजय नहीं थी बल्कि लडने वाले हिंदुओं की अपने शत्रुओं पर विजय थी।
इस्लामिक आक्रांता मुहम्मद बिन कासिम
जरा कल्पना कीजिए १६७४ ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी को रायगढ़ के विशाल प्रांगण में राजे रजबाडों की सहभागिता तथा जीजा माता एवं शम्भाजी की उपस्थिति में शिवराज का राज्याभिषेक हुआ ! इसके पीछे की एतिहासिक प्रष्ठभूमि के कारण यह एक गौरवपूर्ण क्षण था ! इस्लामिक आक्रांता मुहम्मद बिन कासिम सातवीं सदी में आक्रमण करने आया तब से लेकर १७ वीं सदी तक हम पददलित रहे ! महिलाओं का अपमान तो आम बात थी ! पराक्रम की कमी नहीं थी, किन्तु क्षमता होते हुए भी आत्मविश्वास विहीन समाज में उसका चिन्ह दिखाई नहीं देता था! छुटपुट प्रयास या बड़े प्रयास, यहाँ तक कि महाराणा प्रताप का पराक्रम भी यह दाग नहीं धो सका था ! विजय नगर साम्राज्य एवं देवगिरी साम्राज्य भी अल्पकाल में लुप्त हो गए थे ! निराशाजनक स्थिति थी! पराक्रम के वाबजूद कुंठा का भाव था !
इस्लामिकों द्वारा काशी विश्वनाथ मंदिर ध्वस्त किये जाने से व्यथित हुए गागा भट्ट महाराष्ट्र आकर शिवाजी से मिले और बताया कि मंदिरों की मूर्तियों से मस्जिदों की सीढियां बन रही हैं ! आप राजा बनकर समाज को नई प्रेरणा दो ! शिवजी के राज्याभिषेक के बाद इतिहास साक्षी है कि उनसे प्रेरणा लेकर देश के अन्य भागों में हो रहे सभी प्रयास सफल हुए ! राजस्थान में दुर्गादास राठौर ने कलह मिटाकर सब राजाओं को जोड़ा और राज्य कायम किया ! छत्रसाल पिता की मृत्यु के बाद शिवराज से मिले और बाद में शिवाजी महाराज की प्रेरणा से बुंदेला राजा बने ! आसाम में चक्रधर सिंह, कूच बिहार में सत्य सिंह इन सबके प्रेरणा स्त्रोत बने शिवाजी ! सबको जोड़ने के प्रयत्न किये गए इसीलिए मिर्जा राजा जयसिंह को पत्र लिखा – चाहो तो आप राजा बन जाओ पर शत्रु की चाकरी मत करो !
क्षत्रपति शिवराय का एक ही प्रयास कि समाज का खोया आत्मविश्वास पुनः जागृत हो ! शुद्ध मन से किया गया प्रयत्न अवश्य सफल होता है, यही कारण है कि शिवाजी को ऐसे अद्भुत पराक्रमी साथी मिले ! बेटे रायबा की शादी का निमंत्रण देने आये तानाजी, पर सिंहगढ़ जीतना पहले जरूरी मान जा पहुंचे युद्धभूमि में और बलिदान हो गए ! शिवाजी के मुंह से निकला – गढ़ तो आया पर सिंह गया ! बाजी प्रभू देशपांडे ने कहा जान भी चली जाए पर लडता रहूँगा !
शीश कटा पर देह लड़ी थी
कोंडाना पर गाज गिरी थी ! हजारों के साथ २० – २२ रणबांकुरे भिडे ! हिन्दू योद्धाओं के सिर बिहीन धड लडते रहे! बालाजी निम्बालकर, कान्होजी आंग्रे – पराक्रम की मालिका ! बैदनी नायक औरंगजेब के यहाँ की खबरें निकालकर लाते रहे ! सब तुकाराम के भजन गाते ! ईश्वर को मस्तक पर रखो और शत्रुओं का संहार करो ! स्वयं शिवाजी का आगरा से बापिस आना किसी चमत्कार से कम नहीं था ! महान रणनीतिकार ! जिन तुलजा भवानी से तलवार प्राप्त की उनका ही मंदिर इस्लामिक आक्रांताओं ने ध्वस्त कर दिया था, पंढरपुर में बिठोबा का मंदिर तोड़ा गया ! लोगों ने कहा, क्या कर रहे हो, कैसे राजा हो ? परन्तु धैर्य से योजना बना कर शैतान अफजल खान के सम्मुख शरण आने का नाटक रचा और उसे पहाड़ प्रतापगढ़ में लाए, जहां उसका वध कर दिया !
उस समय हरेक जागीरदार की अपनी सेना हुआ करती थी ! मनसबदार भी दस हजार सेना रखते थे ! शिवराज ने व्यवस्था बदली ! सेना सब केन्द्र की, सिंहासन की, हिन्दवी स्वराज्य की ! समुद्र में विजय दुर्ग, सिंधु दुर्ग बने ! कैसे बने होंगे सोचकर आश्चर्य होता है ! सामान्य लोगों को साथ लेकर उन्हें तज्ञ बनाकर ये असंभव कार्य किये ! चिपलुण में परशुराम जी का मंदिर तोड़ा गया तो बहां जाकर युद्ध किया ! वहां के शिलालेख में तारीख एवं प्रसंग अंकित है।
छत्रपति शिवाजी महाराज की सभी शौर्य गाथाओं की चर्चा करना बहुत कठिन है क्योंकि उनके शौर्य के ऐसे ऐसे अनगिनत प्रमाण हैं जिनका जितना भी बखान कर लो कोई रह ही जाता है, परंतु यह बात तो अब अकाट्य है की छत्रपति शिवाजी महाराज के सभी प्रसंग, उनकी चर्चाएं हिंदुओं में अदम्य साहस शौर्य का संचार करने वाली हैं।