इस देश में हिंदू संतों के खिलाफ चौबीसों घंटे महीनों मीडिया ट्रायल चलते हैं तो कोई आपत्ति नहीं परंतु जब हिंदू अपनी सुरक्षा की गुहार लेकर सुप्रीम कोर्ट जाते हैं तो जवाब मिलता है की हम खबरों के आधार पर यह सुनवाई नहीं कर सकते
यह खबर एक खबर नहीं है बल्कि यह सुप्रीम कोर्ट का हिंदुओं के लिए एक बहुत दुखद आई जवाब है। पिछले कई वर्षों से सारे देश में हिंदुओं के खिलाफ एक भयानक सा वातावरण बना हुआ है, जिस कारण सारे देश के हिंदू बहुत परेशान हैं। ऐसा कोई दिन नहीं जाता कि जब हिंदुओं के इस देश हिंदुस्तान में कहीं कोई मंदिर ना तोड़ा जाता हो, कहीं कोई हिंदू लड़की लव जिहादी का शिकार ना बन रही हो, और हिंदुओं की निरंतर हत्याओं की खबरें तो प्रतिदिन मिलना आम हो चुका है। और जब इस सब से आहत हिंदू कहीं भी अपनी सुनवाई होता ना देख कर सुप्रीम कोर्ट में अपनी फरियाद लेकर जाएं और सुप्रीम कोर्ट भी यह कहकर सुनवाई करने से इंकार कर दे कि
“खबरों के आधार पर हम सुनवाई नहीं कर सकते”
तब सर्वोच्च न्यायालय का यह निर्णय हिंदुओं के लिए बहुत हताशा भरा है। जैसा कि सभी जानते हैं की मेवात क्षेत्र अब एक मिनी पाकिस्तान बन चुका है इसका कुछ हिस्सा राजस्थान में है और कुछ हरियाणा में है। हरियाणा के मेवात क्षेत्र के लोग बहुत ज्यादा परेशान हो चुके हैं। अक्सर न्यूज़ चैनलों में इस तरह की सूचनाएं मिलती ही रहती हैं कि मेवात में हिंदुओं की बुरी तरह से प्रताड़ना की जा रही है। कहीं उनका जबरन धर्मांतरण कराया जा रहा है, कभी उनके घर से निकलने वाली लड़कियों को रास्ते में जिहादी मानसिकता के लोगों के द्वारा छेड़ा जाता है, तो कभी उनके घरों पर पथराव होते हैं, और कभी हत्याएं तक हो जाती हैं। मंदिर तो लगभग समाप्त होने के कगार पर ही हैं। ऐसे में हिंदुओं की सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका डाली गई थी जिसमें यह याचना की गई थी कि इस सारे क्षेत्र में हिंदुओं का जीना मुश्किल हो चुका है, यहां से बहुत सारे हिंदू पलायन भी कर चुके हैं तथा बचे खुचे हिंदू अत्यंत भय के वातावरण में जी रहे हैं, परंतु उस याचिका को माननीय सुप्रीम कोर्ट जी ने खारिज कर दिया।
सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार (28 जून 2021) को हरियाणा के मुस्लिम बहुल नूँह जिले (मेवात) में हिंदुओं को सुरक्षा देने की माँग वाली याचिका को खारिज कर दिया है। प्रसिद्ध अधिवक्ता विष्णुशंकर जैन के जरिए वकीलों और एक्टिविस्टों के एक समूह ने यह याचिका दायर की थी।
मिली सूचना के अनुसार याचिका में कहा गया था कि, “वहाँ कई हिंदुओं को जबरन इस्लाम कबूल करवाया गया है। कई महिलाओं व लड़कियों का अपहरण और उनका बलात्कार किया गया है। यहाँ हिंदू महिलाएँ बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं हैं। मुसलमानों ने अनुसूचित जाति के लोगों पर भारी अत्याचार किए हैं।”
याचिका में कहा गया कि नूँह जिले में पुलिस, प्रशासन और प्रदेश सरकार वहाँ हिंदुओं की जिंदगी और उनकी स्वतंत्रता को कायम रखने में पूरी तरह से असफल साबित हो रहे हैं। याचिका में दावा किया गया है कि नूँह में वर्ष 2011 में 20 प्रतिशत हिंदू थे, लेकिन अब ये घटकर 10-11 प्रतिशत रह गए हैं।
इस मामले में याचिकाकर्ताओं ने उस चार सदस्यीय कमेटी की रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें कमिटी के सदस्यों ने 31 मई 2020 को इलाका के प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर अपनी रिपोर्ट सीएम मनोहर लाल खट्टर को सौंपी थी। याचिका में कहा गया है, “मुसलमानों द्वारा उन पर किए गए कई जघन्य अपराधों और अत्याचारों के लिए हिंदुओं ने कई एफआईआर और शिकायतें दर्ज कराई हैं, जिस पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई है।वहीं तब्लीगी जमात के संरक्षण में इस्लाम को मानने वालों की आबादी तेजी से बढ़ी है।
याचिकाकर्ताओं ने सर्वोच्च न्यायालय में कहा कि हरियाणा का नूँह जिला देश विरोधी तत्वों से प्रभावित हो चुका है और वहाँ का हिंदू समुदाय जानवरों की तरह जीवन जीने को विवश है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट से सीबीआई, एनआईए और सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त जज की वाली एक एसआईटी के गठन की माँग की गई है, ताकि जबरन धर्मान्तरण, हिंदू महिलाओं और नाबालिग लड़कियों के बलात्कार के आरोपों की जाँच की जा सके। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट से पिछले 10 वर्षों में हिंदुओं द्वारा दबाव में भेजी गई जमीनों मकानों के सौदा रद्द करने की मांग भी की गई है।
इस मामले की सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश एनवी रमणा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने की। इसमें सीजेआई के अलावा जस्टिस ऋषिकेश रॉय और एएस बोपन्ना भी शामिल रहे। सुनवाई की शुरुआत में ही चीफ जस्टिस एन वी रमणा ने कहा, “हम अखबार की खबरों के आधार पर इस याचिका पर सुनवाई नहीं कर सकते हैं।” और हिंदुओं की सुरक्षा की माँग करने वाली इस याचिका को खारिज कर दिया गया। बता दें कि यह भी आरोप निरंतर लग रहे हैं कि यह पूरा मेवात क्षेत्र ही अवैध बांग्लादेशियों और रोहिंग्या का केंद्र बना हुआ है।
सितंबर 2020 में इस्माइल, इरशाद और साहिर ने एक 15 वर्षीय नाबालिग का अपहरण कर लिया था। आरोपितों ने उसे नशीला पदार्थ खिलाकर उसके साथ गैंगरेप किया। नूँह के पिनाँगवा गाँव में हुई इस वारदात में नाबालिग के साथ 28 घंटे तक गैंगरेप किया गया। पीड़िता ने बताया था कि वह सुबह घूमने के लिए बाहर गई थी, इसी दौरान इस्माइल ने उसे जबरन बाजरे के खेत में ले गया और उसके साथ रेप किया। करीब 2 घंटे बाद दूसरा आरोपित साहिर आया और उसने भी उसके साथ रेप किया। बाद में इरशाद ने भी उसके साथ वही हरकत की। पीड़िता ने अपने बयान में बताया था कि आरोपितों ने उसका रेप करने से पहले उसे नशीला पदार्थ खिलाया था।
फरवरी 2020 में मेवात के तवाडु गाँव में एक विवाहिता के अपहरण और गैंगरेप की खबर सामने आई थी। पीड़िता का सितंबर 2019 में अपहरण कर लिया गया था और उसे बंदी बनाकर रखा गया था, लेकिन 15 जनवरी 2020 को वह आरोपितों के चंगुल से भाग निकली। कैद से भागने के बाद उसने पाँच लोगों पर अपहरण और महीनों तक सामूहिक बलात्कार करने का आरोप लगाया था। महिला ने बताया था कि कैद में रखने के दौरान आरोपी उसे ड्रग्स देते थे और गैंगरेप करते थे। पीड़िता ने बताया था कि अपहरणकर्ता उसका अश्लील वीडियो भी बनाते थे और उसे इंटरनेट पर डालने की धमकी देते थे।
पिछले साल अक्टूबर में हरियाणा के फरीदाबाद में निकिता तोमर नाम की 21 वर्षीय छात्रा के साथ लव जिहाद और उसका धर्मान्तरण कराने की कोशिश की गई थी। नहीं मानने पर आरोपित ने गोली मारकर निकिता की हत्या कर दी थी। फरीदाबाद के बल्लभगढ़ में अग्रवाल कॉलेज के बाहर दो लोगों ने दिनदहाड़े उसकी गोली मारकर हत्या कर दी थी।
बहर हाल सर्वोच्च न्यायालय द्वारा हिंदुओं की यह याचिका ठुकरा देने के बाद अब यह सवाल तो बनता ही है कि अब हिंदू अपनी सुरक्षा के लिए जाएं तो जाएं कहां ??