इस्लाम वालों ने अपना फर्ज पूरा किया तो क्या गलत किया ? और सनातनी सोते रहे तो क्यों सोते रहे ??
सनातन🚩समाचार🌎 का यह लेख किसी को बहुत बुरा भी लग सकता है और कई लोग इसकी प्रशंसा भी करेंगे। कुछ लोग हमें बुरा भला भी कह सकते हैं। परंतु यहां जो भी लिखा गया है वह अकाट्य सत्य है, तथ्यों पर आधारित है। और साथ ही यहां लिखी प्रत्येक बात को सत्य साबित करने के लिए छोटी-छोटी वीडियो क्लिप भी डाली गई हैं।
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सन 1946 में मुसलमानों के धरती पर केवल 6 देश थे और आज सन 2021 में इस्लामिक देशों की संख्या 56 बताई जा रही है। और उधर सनातनी जो कभी सारे विश्व के एक छत्र सम्राट थे आज इस धरती पर उनका एक भी देश नहीं बचा है। ऐसा कोई देश नहीं है जिसे वह अपना हिंदू राष्ट्र कह सकें। आजकल सोशल मीडिया पर एक चर्चा बहुत गर्म है कि हिंदुस्तान को हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाना चाहिए। ठीक है हिंदुओं की हिंदू होने के नाते यह मांग बिल्कुल उचित है, और इस्लाम वालों के द्वारा इस्लाम का विस्तार करके अपने 56 इस्लामिक देश बना लेना भी उचित है। क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी आस्था का विस्तार करने का अधिकार है यह वह अधिकार है जो उसे कोई कानून नहीं देता बल्कि उसके अंतःकरण में बसी हुई आस्था के प्रति उसका लगाव है।
आज के इस लेख में हम जानने का प्रयास करेंगे कि आखिर ऐसे वह क्या कारण थे जिनके कारण धरती पर 56 इस्लामिक देश बन गए और हिंदू आज लगभग खत्म होने के कगार पर पहुंच चुका है। पहले बात करते हैं इस्लाम की क्योंकि इस्लाम का विस्तार बहुत तेजी से हुआ है। इस्लाम के विस्तार के बहुत सारे कारण हैं। जिनमें से सबसे बड़ा कारण तो यह है की दुनिया के प्रत्येक कोने में रहने वाले मुसलमानों को उनके आलिमो द्वारा मौलवियों द्वारा केवल एक ही तरह की बातें बताई जाती हैं। केवल एक ही तरह की शिक्षाएं दी जाती हैं। अब कुछ लोग उनकी शिक्षाओं को वर्तमान में गलत भी कह रहे हैं। हो सकता है उनके विचार सही हों, परंतु यह भी सही है की इस्लाम वालों की विचार शैली और प्रचार शैली में जो कुछ भी है, उसीका वह लोग प्रचार कर रहे हैं और उसी प्रकार के चलते वह रेगिस्तान के एक छोटे से टुकड़े से शुरू होकर आज 56 देशों में अपना राज स्थापित कर चुके हैं।
और अभी भी उनकी उनका प्रयास जारी है ताकि वह सारे विश्व में इस्लाम को स्थापित कर सकें। जो उनका विश्वास है जो उन्हें सिखाया जाता है वह उसी के अनुसार कर रहे हैं इसलिए उन्हें गलत नहीं कहा जा सकता। इस्लाम वालों ने ऐसा कोई भी प्रयास नहीं छोड़ा जिससे इस्लाम को पृथ्वी पर फैलाया जा सकता हो। भले ही आज इस्लाम का नाम लेने वाले हाथों में भयंकर हथियार लिए हुए दिख रहे हैं, परंतु इस्लाम को चाहने वालों ने छोटे-छोटे बच्चों को भी इस्लाम की शिक्षा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। इस्लाम के विस्तार में एक बहुत बड़ी विशेषता यह भी है कि इनके जो लोग भी राजनीति में जाते हैं, नेता बनते हैं वह भले ही किसी भी पार्टी में हो परंतु वह लोग बात हमेशा इस्लाम की ही करते हैं। इस्लामिक नेता हमेशा इस्लाम की तरक्की की बात ही करते हैं। नेता लोग ही नहीं बल्कि इस्लामिक स्त्रियां भी इस्लाम का प्रचार और विस्तार करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ती हैं।
और अब बात सनातनियों की यानी हिंदुओं की। इसमें कोई संदेह नहीं है और इसके इतिहास में प्रमाण भी हैं कि किसी समय हिंदू सारी पृथ्वी के एक छात्र सम्राट थे, उसके बाद क्या-क्या घटनाएं घटी उसकी चर्चा करेंगे तो बहुत ज्यादा लिखना पड़ेगा। अभी इतनी बात करते हैं कि हिंदू सारी पृथ्वी से खत्म होता होता आखिरकार पृथ्वी के छोटे से टुकड़े हिंदुस्तान में सिमट कर रह गया उसमें से भी पाकिस्तान बांग्लादेश में से खत्म हो गया। फिर कश्मीर कैराना मेवात नागालैंड उड़ीसा मिजोरम लगभग सारी दिल्ली और अन्य बहुत सारे स्थान हैं जहां से हिंदू खत्म हो चुका है। और अब तो स्थिति यह हो गई है कि हिंदुओं के द्वारा सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी लगाई गई है कि हम 9 राज्यों में अल्पसंख्यक हो चुके हैं हमें अल्पसंख्यकों की सुविधाएं दी जाएं।
तो यहां यह प्रश्न उठना उठना स्वभाविक ही है कि आखिर हिंदू इतनी भयंकर दुर्गति को क्यों प्राप्त हो गए ?? इसके बहुत सारे कारण हैं इसका सबसे बड़ा कारण तो यही है कि जिस शब्द को हिंदू बहुत चाव से बढ़-चढ़कर बोलते हैं – “सर्वे भवंतू सुखिनः” सही बात है सभी को सुखी होना ही चाहिए, परंतु हिंदू हमेशा यह भूल गए कि भगवान श्री कृष्ण जी ने महाभारत में युद्ध के मैदान में अर्जुन से क्या कहा था। उसमें श्री कृष्ण भगवान जी ने अर्जुन से ये नहीं कहा था “सर्वे भवंतू सुखिनः” बल्कि उन्होंने तो कहा था – हे अर्जुन उठ अधर्मियों को मार दे। उसके साथ ही एक प्रचलित शब्द है – “ॐ शांति शांति शांति” सही बात है परंतु यह शांति शब्द युद्ध में अधर्मीयों को समाप्त करने के बाद बोला जाने वाले शब्द था – “ओम शांति शांति शांति” परंतु इस शांति शब्द को गलत रूप में धारण करके हिंदू केवल शांति शांति ही करते रह गए, अधर्मियों के आगे भी शांति शांति करते रह गए।
और बेड़ा गर्क किया महात्मा गांधी नाम के एक जीव ने। जिसने यह सिखा दिया कि कोई एक चांटा मारे तो दूसरा गाल आगे कर दो। अब गांधी की बात आई है तो नेताओं की चर्चा भी यहां करनी आवश्यक बन जाती है। हिंदुओं को यह एक भयंकर बीमारी है कि ज्यों ही कोई हिंदू नेता बनता है वह तुरंत सेकुलर बन जाता है। वह पूरी तरह अपने धर्म के प्रति अपने कर्तव्य को भुला देता है। अब नेताओं की बात चली है तो यह भी चर्चा करनी उचित होगी कि इन नेताओं के द्वारा ही हिंदुओं में जातिवाद का जहर घोला गया है। हमारे शास्त्र प्रमाण हैं कि हिंदू धर्म में कभी भी कोई जाति व्यवस्था नहीं थी। हां वर्ण व्यवस्था अवश्य थी। अगर जाति व्यवस्था होती तो श्री कृष्ण भगवान जी विदुर के घर भोजन करने ना जाते, और भगवान श्री राम जी भीलनी के झूठे बेर ना खाते, और ना ही भगवान श्री राम केवट को अपने गले लगाते।
नेताओं ने हिंदुओं का भयंकर बेड़ा गर्क किया है। यह नेता कभी मुगलों के समय थे ।और यही नेता कभी अंग्रेजों के समय भी थे, और यही नेता आज भी हमारी गली गली मोहल्ले मोहल्ले गांव शहर और पूरे देश में व्याप्त हैं। आज जातिवाद में उलझा हुआ हिंदू यह नहीं देख पाता है कि उसका अपने धर्म के प्रचार प्रसार के लिए क्या कर्तव्य है ? वह केवल यही देख रहा है की मैं क्या हूं और मेरी जाति क्या है ? हिंदुओं के हो रहे खात्मे में एक सबसे बड़ा कारण यह भी है कि पता नहीं क्यों पिछले बहुत सालों से हिंदुओं के धर्म प्रचारक, धर्मगुरु या ब्राह्मण समाज ने कभी भी हिंदुओं को ऐसी बातें नहीं बतायीं जिससे हिंदू अपने धर्म के प्रति दृढ़ रह सकें।
अगर बताया तो केवल यह बताया कि श्री कृष्ण भगवान जी नृत्य यानी डांस करने वाले थे, वह तो मुरली वादक थे, चूड़ी बेचने वाले थे, नग्न स्त्रियों के कपड़े उठा लेते थे। रात को पर स्त्रियों के संग रास करते थे।आदि आदि और तो और महावीर महा योद्धा महा ज्ञानी श्री कृष्ण भगवान जी को रणछोड़ यानी भगोड़ा शब्द से अलंकृत कर दिया गया। और आज भी धन कमाने की इच्छा से भजन गायक कीर्तन मंडली या और कथा वाचक अभी ऐसे ऐसे शृंगार रस में प्रेम रस में डूबे हुए गाने सुनाते हैं जिससे हिंदू पूरी तरह भ्रमित ही रहते हैं। यह लोग हिंदुओं को केवल यही सिखाते हैं की ठुमके लगाओ नाचो छप्पन भोग खाओ खिलाओ और कुछ नहीं। मजे की बात यह है कि हिंदू देख भी रहे हैं कि हम सारी दुनिया से खत्म हो चुके हैं, परंतु फिर भी नाचना नहीं छोड़ते हैं, मनोरंजन नहीं छोड़ते हैं। केवल खाने पीने और भोगने में ही लगे रहते हैं। और आज तो बहुत सारे हिंदुओं ने घर में बैठकर घंटा दो घंटा पूजा पाठ करने को ही धर्म मान लिया है।
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अभी और बहुत कुछ है लिखने को परंतु कहीं यह लेख और ज्यादा लंबा ना हो जाए इसलिए इसको यहीं पर विराम देते हैं।
🚩हर हर महादेव🚩हर हर महादेव🚩हर हर महादेव🚩
Aap se poori tarah sehmat huun
Hindu jagrit hona bahu zaroori hai shastra aur shaastr rdono hi zaroori hain
🙏🙏🙏🙏
धन्यवाद आदरणीय जी, कृपया आप भी प्रयास करें।