प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार से निराश होने के बाद अब पश्चिमी बंगाल के हिंदू अब सुप्रीम कोर्ट से आस लगाए बैठे हैं कि शायद सुप्रीम कोर्ट स्वतः संज्ञान ले और हिंदुओं की जान माल की रक्षा करे और हिंदू स्त्रियों से हो रहे बलात्कारों पर रोक लगादे।
पिछलेकई महीनों से लगातार मांग उठ रही है कि सुप्रीम कोर्ट पश्चिम बंगाल में हो रही हिंसा, लूटमार, बलात्कार, हत्या की घटनाओं पर स्वत: संज्ञान ले ।
यूँ तो पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा होना कोई नई बात नहीं है इसका पुराना इतिहास रहा है कभी वाम दल के कार्यकर्ता निर्दोषों को अपना निशाना बनाते रहे हैं तो अब टीएमसी के गुंडों ने पश्चिमी बंगाल में हिंदुओं के खिलाफ उत्पात मचा रखा है आशा की जा रही थी कि चुनावों के बाद हिंदुओं पर होने वाला यह कहर खत्म हो जाएगा परंतु ऐसा नहीं हुआ और आज तक वहां हिंदुओं पर प्राणघातक हमले हो रहे हैं उन्हें मारा जा रहा है उनसे अवैध वसूली भी अब चालू हो गई है और साथ ही हिंदू लड़कियों स्त्रियों के साथ बलात्कार भी निरंतर हो रहे हैं।और यहां बहुत दुखद बात यह है कि इस बारे में पुलिस भी हिंदुओं का साथ नहीं दे रही है।
असंख्य हिन्दू बेटियां अपनी इज्जत गंवा चुकी हैं
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से अब तक हिंदुओं पर निरंतर जुल्म हो रहे हैं और जालिमो पर पुलिस का कोई अंकुश नहीं है।हिंदुओं के घरों पर बमों से हमला किया जा रहा है तो कभी ईट पत्थर से कभी लाठी डंडों से तो कभी धारदार हथियारों से।चुनावों से शुरू हुआ ये खूनी खेल अब तक कई हिंदुओं के मौत का कारण बन चुका है और असंख्य हिंदू बेटियां जिहादियों के हाथों अपनी इज्जत आबरू गंवा चुकी हैं। बहुत आशा थी कि चुनावों के परिणामों के बाद हिंदुओं के खिलाफ होने वाली हिंसा बंद हो जाएगी परंतु ऐसा नहीं हुआ हिन्दू लगातार केंद्र की मोदी सरकार से गुहार लगाते रहे परंतु केंद्र सरकार हिंदुओं की रक्षा करने में आज भी पूरी तरह विफल रही है।
सभी को आशा थी कि केंद्र सरकार अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए इन हिंसक घटनाओं पर लगाम लगाएगी परंतु ऐसा नहीं हुआ केंद्र सरकार से आशा टूटने के बाद अब पीड़ित परिवारों को केवल सुप्रीम कोर्ट से ही न्याय की आशा बची है।यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि अभी भी पश्चिम बंगाल से खौफनाक वीडियो का आना जारी है जिनमें कोई हिंदू अपने रक्षा की गुहार लगा रहे होते हैं कोई पिट रहे होते हैं तो किन्ही की दुकानें मकान लुटे जा चुके होते हैं।
बंगाल में हिंसा की घटनाएं आज तक जारी हैं।
बता दें कि इस बारे में राज्य सरकार और सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस का यही कहना है कि कहीं कोई हिंसा नहीं हुई है ना हो रही है परंतु वहीं दूसरी ओर हर रोज हो रही हिंसा की नई नई घटनाओं के वीडियो और चित्र सोशल मीडिया पर वायरल होते जा रहे हैं।हिंसा पर केंद्र सरकार से पीड़ित परिवारों को आशा थी कि उन्हें केंद्र सरकार की तरफ से अवश्य न्याय मिलेगा लेकिन समय बीतने के साथ अब न्याय की कोई गुंजाइश नहीं बची है तो पीड़ित हिंदुओं को केवल सुप्रीम कोर्ट ही अंतिम विकल्प दिख रहा है। बता दें, ममता बनर्जी और नरेंद्र मोदी के बीच शुरू हुई जुबानी जंग के बाद पश्चिम बंगाल के चुनाव के परिणाम आने के साथ ही बंगाल में हिंसा की घटनाएं आज तक जारी हैं।
इसी हिंसा के चलते पश्चिमी बंगाल से बहुत सारे हिंदू अपने घर बार छोड़कर पलायन कर चुके हैं यहां यह बात भी काबिले गौर है कि हर समय भाईचारा भाईचारा करने वाले बुद्धिजीवी अब मौन हैं और हर समय देशवासियों को सेकुलर पने का पाठ पढ़ाने वाले नेताओं को अब सांप सूंघ गया है। यह विचित्र बात यह है कि जिस मीडिया को निष्पक्ष होकर वास्तविक सच्चाई दुनिया के सामने रखनी चाहिए थी वहां मीडिया भी मर रहे हिंदुओं की ओर अपने कैमरे घुमाने को तैयार नहीं है शायद उनके एजेंडे में हिंदुओं की पीड़ा दिखाना है ही नहीं।
अब सभी गैंग गायब
यहां काबिले जिक्र यह भी है कि अखलाक की मौत पर एकदम से तख्ती गैंग बाहर आ गया था तो कभी अवार्ड वापसी गैंग सक्रिय होता है और कभी मोमबत्ती गैंग भी सरगर्म हो जाता है परंतु पश्चिम बंगाल में हो रही हिंदुओं की हत्या पर हिंदू स्त्रियों से हो रहे बलात्कारों पर इन सभी की आत्मा मर चुकी है, यह सभी अब मौन हैं। जिन फिल्मी भांडों को हिंदुस्तान में डर लगता था वह अब निश्चित ही बहुत राहत महसूस कर रहे होंगे।
जब जब भी भारतीय सेना किसी आतंकवादी को एनकाउंटर में ढेर कर देती है तब तब तथा कथित मानवाधिकार वादी जोर-जोर से विधवा विलाप करते हैं परंतु अब हिंदुओं के ऊपर हो रहे इन भयंकर अत्याचारों पर यह झूठे मानव अधिकारी वाले गधे के सींग की तरह आज गायब हैं।
राज्य सरकार और केंद्र सरकार से निराश हैं हिन्दू
भयंकर अत्याचारों के शिकार हिंदू और बलात्कारों से पीड़ित हिंदू बालिकाओं कि अब सुप्रीम कोर्ट से ही कोई आस बची है कि शायद वह ही उन्हें इंसाफ दे दे, ऐसी मांग उठ रही है की सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में एक एसआईटी गठित की जाए और शीघ्रातिशीघ्र हो रहे जुल्मों पर रोक लगे, क्योंकि प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार अब पश्चिमी बंगाल में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों पर को रोकने में पूरी तरह से निष्फल हो चुके हैं। कहने को यह देश हिंदुओं का हिंदुस्तान है परंतु यह भी अब अकाट्य सत्य है की इसी हिंदुस्तान में अब लगभग प्रत्येक जगह पर हिंदुओं का रहना दूभर होता जा रहा है और तो और सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी भी डाली जा चुकी है कि हिंदुस्तान के 8 राज्यों में रह रहे हिंदुओं को अल्पसंख्यकों का दर्जा दिया जाए।