कल का दिन दिल्ली पुलिस के लिए भारी तनाव वाला और अफरा-तफरी वाला रहा क्योंकि बहुत सारे संगठन एक साथ कल दिल्ली की सड़कों पर उतरे और 86 वर्षीय बुजुर्ग संत श्री आसाराम जी बापू की रिहाई की मांग करने लगे।
सामूहिक प्रयास समिति
संत श्री आसाराम जी बापू की रिहाई की मांग को लेकर निकले बहुत सारे संगठनों ने एक सामूहिक प्रयास समिति बनाई है जिसका उद्देश्य अब केवल संत श्री आसाराम जी बापू की रिहाई के लिए धरना प्रदर्शन और संघर्ष करना ही होगा, इस सामूहिक प्रयास समिति की फाउंडर हैं प्रसिद्ध हिंदुत्ववादी जनक की धरती की बेटी रागिनी तिवारी। जी हां वही रागिनी तिवारी जिन्होंने शाहीन बाग के समय हो रहे प्रदर्शन का घोर विरोध किया था, रागिनी तिवारी समय-समय पर हिंदुत्व का चेहरा बन कर उभरी हैं फिर वह चाहे दिल्ली में हुए दंगे में हिंदुओं के कत्लेआम का विरोध हो या कोई और मुद्दा। और अब संत श्री आशारामजी बापू का मामला।
हिंदुत्ववादी सरकार इन हिन्दू सन्त श्री आसाराम जी बापू जी को जेल में ही …..??
जैसा कि सभी जानते हैं कि लगभग 8 सालों से वृद्ध संत आसाराम जी बापू जेल में है यहां विचित्र बात यह है कि लगातार 8 सालों में उन्हें मानवाधिकार की दृष्टि से या उनका सीनियर सिटीजन होने के नाते जो उनका अधिकार बनता है अथवा कोरोनावायरस के चलते सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद भी उन्हें एक क्षण की भी जमानत तो क्या पैरोल भी नहीं दी गई है। यह भी एक तथ्य है कि आज तक हिंदू संत श्री आसाराम जी के विरुद्ध अदालत में कोई भी प्रमाण सिद्ध नहीं हो सका है फिर भी वह निरंतर जेल में हैं, अब उनका स्वास्थ्य भी बहुत खराब हो चुका है, कोरोना होने के बाद अब उनकी सेहत निरन्तर खराब होती जा रही है।
अब तो ऐसा ही लगने लगा है कि वर्तमान की हिंदुत्ववादी सरकार इन हिन्दू सन्त श्री आसाराम जी बापू जी को जेल में ही खत्म कर देना चाहती है।
क्योंकि जब भी बापू जी की तरफ से कोई भी जमानत की अर्जी अदालत में लगाई जाती है तब वर्तमान सरकार का सरकारी वकील तुरंत जमानत का विरोध करता है, यहां विचित्र तर्क यह दिया जाता है कि अगर आसारामजी बापू को जमानत दे दी गई तो माहौल बिगड़ सकता है। यह बहुत बड़ी मूर्खता की बात है क्योंकि जब माहौल बिगड़ सकता था उनको गिरफ्तार किया गया था तब तो माहौल बिगड़ा नहीं और अगर अब पेरोल जमानत या रिहाई होती है यह तो खुशी का समय होगा तो वैसे खुशी के समय में कौन मूर्ख माहौल खराब करना चाहेगा ?
रागिनी तिवारी जी बोली …..
कल हुए प्रदर्शन के बारे में ज्यादा रागिनी तिवारी जी से बात की गई तो उन्होंने बताया की कल सारा दिन चले प्रदर्शन में पुलिस का व्यवहार बहुत ज्यादा खेद जनक रहा क्योंकि हम कोई आतंकवादी नहीं हैं हम कानून को मानने वाले हिंदू लोग हैं फिर भी हमें इस तरह से डील किया गया जैसे हम कोई खूंखार लोग हो हमें इधर-उधर दौड़ाया गया, बजाय सही तरह से हमारी बात सुनने के घेर कर सभी स्त्रीयों को गिरफ्तार कर लिया गया। बता दें कि कल के धरना प्रदर्शन में अधिक संख्या महिलाओं की ही रही, काबिले गौर यह भी है कि जहां एक स्त्री के एक बयान के कारण एक निर्दोष वृद्ध संत को जेल में डाल दिया गया वही उनके पक्ष में हमेशा लाखों लाखों स्त्रियां खड़ी दिखाई देती हैं, यह एक विडंबना ही है कि हिंदुओं के हिंदुस्तान में बड़े-बड़े खूंखार आतंकवादियों को सहज में जमानत मिल जाती है उनके लिए आधी रात को अदालत में खुल जाती हैं परंतु एक हिंदू संत के लिए कोई रहम नहीं है कोई राहत नहीं है। दुनिया ने देखा कि किस तरह हिरण को मार देने वाला सलमान खान तुरत फुरत में जमानत पा गया और रिहा भी हो गया।
बापूजी के केस में हमेशा पोक्सो धारा का हवाला दिया जाता है परन्तु यही धारा तो अन्य बहुत सारे लोगों पर भी लगी है परन्तु उन्हें तो आराम से जमानत मिल चुकी हैं। पत्रकार तरुण तेजपाल पर भी पोक्सो धारा लगी थी, वीडियो में उसके प्रमाण भी मिल गए परंतु वह जमानत पर है, यहां सवाल यह उठता है कि आखिर हिंदू संतो के साथ ही यह अन्याय क्यों होते हैं कभी हिंदुओं के श्री शंकराचार्य जी को आधी रात के समय गिरफ्तार कर लिया जाता है कभी असीमानंद जी कभी नित्यानंद जी कभी साध्वी प्रज्ञा जी कभी कृपालु मुनि जी और भी ना जाने कितने हिंदुत्ववादी लोग जिन्होंने हिंदुत्व के कार्य किए धर्म परिवर्तन को रोका किसी ना किसी बहाने उन्हें जेलों में ठूंस दिया गया।
बहर हाल अब देखना यह होगा की संत श्री आसाराम जी बापू के बारे में आखिर सरकार क्या निर्णय लेती है क्योंकि यह भी एक सत्य है कि संत श्री आसाराम जी बापू के चाहने वालों की संख्या देश में करोड़ों में है और अगर यह करोड़ों लोग वर्तमान की हिंदुत्ववादी बीजेपी सरकार से निराश हो जाते हैं तो क्या आने वाले चुनावों में बीजेपी कभी चुनाव जीत पाएगी ❓❓
न्यायपालिका अगर 65 वारेंट लगे भ्रष्ट इमाम बुखारी को बेल दे सकती है तो बेगुनाह Sant Shri Asharamji Bapu को क्यों बेल से 8 साल से वंचित किया है?? अपराधी व संत में अंतर न करके कोर्ट ने अपनी विवेकहीनता का सबूत दिया है।
क्योंकि हम हिन्दू अपने धर्म के लिए लड़ते नहीं हैं।