किसीको बचाना है या किसी निर्दोष को बलि का बकरा बनाना चाहती है पुलिस ❓
हमलावरों को बचाने के लिए की जा रही है कोशिश, जब सीसीटीवी पुलिस के पास है तो हत्यारे पकड़ से दूर क्यों ?
मंदिर प्रशासन चुप नहीं बैठेगा, चलायेगा आंदोलन, मुख्यमंत्री से भी करेगा गुहार।
सनातन🚩समाचार🌎(गाजियाबाद): डासना स्थित शिवशक्ति धाम के महंत यति नरसिंहानन्द सरस्वती ने सोमवार को प्रेस कांफ्रेंस करके कहा कि डासना मंदिर पर साधु नरेशानन्द पर हुए प्राणघातक हमले के दोषी हमलावर 26 दिन तक पुलिस की पकड़ से दूर क्यों हैं ? पुलिस अपनी नाकामी छिपाने के लिए तरह-तरह के बहाने खोज रही है। डासना मंदिर प्रशासन इस घटना के खुलासे के लिए आंदोलन छेड़ेगा और आवश्यकता पड़ी तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से गुहार करेगा।
घुमाफिरा कर जांच की
यति नरसिंहानन्द सरस्वती ने कहा कि पुलिस प्रशासन हमले की इस गंभीर घटना को लेकर कतई गंभीर नहीं है। शुरू से ही पुलिस गोल-गोल घुमाफिरा कर जांच की असली कार्रवाई से बचने की कोशिश कर रही है और मंदिर प्रशासन पर ही तरह-तरह के आरोप थोप रही है। यति नरसिंहानन्द सरस्वती ने कहा कि आज घटना के 26 दिन बाद पुलिस रिक्रिएशन यानी घटना की क्राइम सीन दोहराने की बात कर रही है, पुलिस ने घटना के छह दिन बाद तक कोई कार्रवाई नहीं की। जबकि घटना के तुरन्त बाद घटनास्थल का घेरा डालकर एक-एक चीज की बारीकी से जांच की जानी चाहिये थी, ऐसे समझ में नहीं आता तो फोरेंसिंक और डॉग स्क्वार्ड टीम से जांच करवानी चाहिये थी।
उस समय तो पुलिस प्रशासन के किसी अधिकारी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। जब पुलिस हमलावरों को नहीं पकड़ पाई तो अपने बचाव के लिए मंदिर प्रशासन को कठघरे में खड़ा करने के बहाने खोज रही है। यति नरसिंहानन्द सरस्वती महाराज का कहना है कि आज पुलिस को 26 दिन बाद होश आया है कि मंदिर प्रशासन ने हमले के बाद 112 और 108 पर कॉल क्यों नहीं की थी ? जबकि साधु नरेशानन्द पर हमला पुलिस कर्मियों की मौजूदगी में हुआ और हमले में घायल होने के बाद साधु नरेशानन्द सबसे पहले पुलिस वालों के पास ही गये थे।
हक्का बक्का रह गया
तो ऐसे में मंदिर प्रशासन को 108 और 112 पर कॉल करने की क्या जरूरत थी ? यही नहीं यदि ऐसी ही जरूरत थी तो जिन पुलिस कर्मियों ने सबसे पहले देखा था तो यह उनकी जिम्मेदारी थी कि वे किसको सूचित करें और किसको न करें। यति नरसिंहानन्द सरस्वती ने आगे कहा कि मंदिर प्रशासन इतने बड़े हमले को देखकर हक्का-बक्का रह गया था और हमले में लहूलुहान साधु नरेशानन्द की जान बचाने के लिए अस्पताल ले जाने और उनका इलाज कराने के प्रबंध में जुट गया था जो उस समय सबसे आवश्यक भी था।
बाकी मंदिर प्रशासन को तो यह मालूम था कि पुलिस वाले साथ में हैं, कानूनी प्रक्रिया वाले काम वही करेंगे अथवा वे पुलिस वाले बताते कि सबसे पहले आपको 112 और 108 पर कॉल करनी है, अगर तब मंदिर प्रशासन न करता तो पुलिस मदिर प्रशासन को कठघरे में खड़ा कर सकती थी।
यति नरसिंहानन्द सरस्वती ने कहा कि अब पुलिस सीन दोहराने की बात कर रही है। हम उनके किसी काम में बाधा नहीं पहुंचाना चाहते हैं। लेकिन हम यह तो अवश्य जानना चाहेंगे कि जब घटना के छह दिन तक घटनास्थल की कोई सुधि नही ली और आज 26 दिन बाद जब वहां के सारे सबूत, तथ्य मिट गये तब पुलिस सीन दोहराकर क्या साबित करना चाहती है ❓
पठानी सूट पहन कर
उन्होंने आगे कहा कि हमें तो इस बात की आशंका है कि पुलिस अपनी नाकामी को छिपाने के लिए किसी निर्दोष को इस मामले में घसीटना चाहती है। उन्होंने कहा कि पुलिस हमले के समय चल रहे सीसीटीवी की फुटेज को लेकर भी गुमराह कर रही है। जबकि हकीकत यह है कि सीसीटीवी फुटेज पुलिस के पास मौजूद हैं और उसमें साफ-साफ दिख रहा है कि काले रंग का पठानी सूट पहन कर कोई मंदिर में आया था जिसने घटना को अंजाम दिया था। पुलिस उसको क्यों नहीं मान रही है ? यति नरसिंहानंद सरस्वती ने कहा कि मैं तो इतना चाहता हूं कि इतने बड़े गंभीर हमले की घटना में शामिल अपराधी को पकड़ा जाये और उसे सख्त से सख्त सजा दिलायी जाये।
हमें इससे कोई मतलब नहीं हैं कि हमलावर स्थानीय है या बाहरी है, वो हिन्दू है या मुसलमान है। यति नरसिंहानन्द सरस्वती जी ने चेतावनी दी कि अगर शीघ्र अपराधी को ना पकड़ा गया तो मंदिर प्रशासन साधु नरेशानन्द मामले में जल्द ही जनांदोलन छेड़ेगा और अगर आवश्यकता पड़ी तो मुख्यमंत्री महंत योगी आदित्यनाथ के समक्ष भी यह मामला उठाकर इंसाफ मांगूंगा।