हिन्दुस्थान में हिन्दुओं पर धर्मपरिवर्तन का कहर अब अपने चरम पर।
इस कुचक्र में फंस कर अब हिन्दू अपना धर्म तो त्याग ही रहे हैं साथ ही अपने पारिवारिक संस्कारों और संबंधों का भी तिरस्कार कर रहे हैं इसका प्रत्यक्ष प्रमाण दिया है धर्मेंद्र से डेविड बने एक व्यक्ति ने।हिंदू धर्म त्याग कर ईसाई बने इस व्यक्ति पर धर्मांतरण का जोश इस कदर चढ़ा कि इसने अपनी मां की ममता को,मां बेटे के रिश्ते को ही भुला दिया।
धर्म परिवर्तन कर धर्मेंद्र से डेबिट बने इस शख्स ने जब अपनी मां की मौत के बाद उसके मृत शरीर का अंतिम संस्कार तक करने से ही इनकार दिया तब उस अभागी मृतका की नातिन “बेटी की बेटी” ने आकर उसका संस्कार किया जबकि सनातन धर्म में यह कार्य करना पुत्र का ही कर्तव्य है। धर्म परिवर्तन कर रिश्तो को हिला देने का यह बीभत्स मामला मध्य प्रदेश के ग्वालियर का है जहां श्वेता नाम की लड़की अपनी नानी का अंतिम संस्कार करने के लिए ग्वालियर से आई।
मिली सूचना के अनुसार ग्वालियर की सरोज देवी नाम की महिला का निधन हो गया और उसके ईसाई बन चुके अपने बेटे ने हिंदू रीति रिवाज से उसका संस्कार करने से साफ मना कर दिया यह बात जब मृतका सरोज की नातिन श्वेता को पता चली तो वह 1100 किलोमीटर दूर झारखंड से ग्वालियर आयी और अपनी नानी का अंतिम संस्कार किया।
पुलिस को दी शिकायत …….
इस घटना से आहत मृतका की नातिन श्वेता सुमन ने अपनी 9 की मौत और अपने मामा द्वारा इस आई धर्म अपनाने के संबंध में जांच करवाने के लिए स्थानीय एसपी को प्रार्थना पत्र दिया है अपनी शिकायत में उन्होंने कहा है कि उनके मामा उनकी नानी पर जबरन ईसाई धर्म अपनाने के लिए दबाव डालते रहते थे। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि मौत के बाद धर्मेंद्र से डेट डेविड बना उसका मामा अपनी मां को ईसाई मत के अनुसार दफनाना चाहता था जबकि उसकी नानी ने मृत्यु तक किसी अन्य मजहब को स्वीकार नहीं किया था और वह हिंदू ही बनी रही इसलिए सनातनी परंपरा के अनुसार अपनी नानी जी का अंतिम संस्कार मैंने किया है ।
बता दे की धर्म परिवर्तन को लेकर तरह-तरह की बातें हमेशा समाज में चलती ही रहती हैं परंतु बड़ा सवाल यह है कि आखिर रिश्तों तक को खत्म कर देने वाला धर्मपरिवर्तन का ये कहर हिंदुओं पर कब तक जारी रहेगा ??