सनातन धर्म में यज्ञ की बहुत भारी महिमा है या यूं कहें कि यज्ञ के बिना सनातन की पूर्णता है ही नहीं हमारे शास्त्रों में यज्ञ के कई तरह के विधान बताए गए हैं और उनके एक से एक विस्मयकारी लाभ भी हैं बात की जाए आधुनिक युग की तो इस आधुनिक युग में भी यह सिद्ध हो चुका है कि यज्ञ से ना केवल वातावरण शुद्ध होता है बल्कि यज्ञ क्षेत्र के चारों तरफ एक दिव्य आभा मंडल का भी विकास होता है

श्रीमद्भगवद्गीता में महाबली श्रीकृष्ण भगवान जी के श्री वचन :
सहयज्ञाः प्रजाः सृष्टा पुरोवाच प्रजापतिः।
अनेन प्रसविष्यध्वमेष वोडस्त्विष्ट कामधुक्‌॥

अर्थात् प्रजापति ब्रह्मा ने कल्प के आदि में यज्ञ सहित प्रजाओं को रचकर, उनसे कहा कि तुम लोग इस यज्ञ कर्म के द्वारा वृद्घि को प्राप्त होओ और यज्ञ तुम लोगों को इच्छित भोग प्रदान करने वाला हो।

वर्तमान में तो अग्नि जलाने के लिए कई प्रकार के संसाधन उपलब्ध हैं,परंतु प्राचीन काल में भी अग्नि को प्रज्वलित करने के लिए हमारे महान पुरखों ने कई प्रकार के उपकरण निर्मित किए हुए थे जिनके द्वारा उत्पन्न अग्नि से यज्ञ क्रिया संपन्न होती थी।

बता दें कि आज भी यज्ञ के लिए उसी प्राचीन प्रणाली को ही उच्च और पवित्र माना जाता है।संलग्न वीडियो में ऐसी ही एक तकनीक के दर्शन हैं जिसके द्वारा पवित्र यज्ञ के लिए श्रेष्ठ मंत्रों का उच्चारण करते करते पवित्र अग्नि का आवाहन किया जा रहा है। देखें वीडियो ….

https://youtu.be/IIIEKmUjRZw

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