किसी भी सनातनी के लिए यह शब्द बोलने बहुत कठिन हैं।
कोई भी हिंदू यह बात बोलने से पहले लाख बार सोचता है।
परंतु यह भी सोचना होगा कि आखिर ऐसे क्या कारण हैं कि आज हिंदू ऐसी बातें सोचने और कहने को विवश हो गए हैं ?
यह प्रमाणिक है की जिन लोगों के धर्मगुरु अपने धर्म की चिंता करते हैं अपने धर्म की रक्षा करने की बातें करते हैं उनके आज दुनियां में 57 देश हैं और जिनके धर्मगुरु हमेशा इस फिराक में रहते हैं कि कैसे उनका मत बड़े वह कैसे-कैसे प्रयास करें कि उनके ग्रुप में और लोग आकर जुड़ते रहें, आज उनकी जमात की जनसंख्या दुनिया में सबसे अधिक है।
जी हां यहां बात हो रही है इस्लाम की और क्रिश्चियनिटी की। यहां विचित्र बात यह है कि हिंदू कभी विश्व सम्राट हुआ करता था, भगवान श्री राम जी के समय, सम्राट अशोक के समय, सम्राट विक्रमादित्य जी के समय, आखिर क्या कारण रहे कि हिंदू सारी दुनिया से हिन्दू खत्म हो गए और घटते घटते एक छोटे से भूभाग हिन्दुस्थान में सिमट कर रह गए हैं। और उसमें भी अब हिंदुओं के द्वारा सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दी गई है कि हम 8 राज्यों में अल्पसंख्यक हो चुके हैं, इसलिए हमें उन राज्यों में अल्पसंख्यकों का दर्जा दिया जाए। ऐसे में क्या माना जाए की इसके कारण रहे ?
सवाल तो बनता है
सारी दुनिया में बीते समय में क्या-क्या हुआ उसकी चर्चा ना करके अब वर्तमान में तो यह सवाल बनता ही है कि जब से देश आजाद हुआ है तब से हिंदुओं के धर्म गुरुओं ने, महामण्डलेश्वरों ने, मठाधीशों ने अपने धर्म को बचाने के लिए अपने सनातनीयों को बचाने के लिए क्या किया ? उन्होंने किस तरह की प्रेरणा अपने श्रद्धालुओं को दी ?? तो इसका उत्तर निश्चित ही यही है कि हिंदुओं के धर्म गुरुओं ने कभी भी उस तरह से अपने कर्तव्य का निर्वाह नहीं किया जैसे उन्हें करना चाहिए था उन्होंने कभी भी हिंदुओं को अपने धर्म की रक्षा करने की प्रेरणा नहीं दी जो उन्हें देनी चाहिए थी।
बातें कड़वी हैं परन्तु सत्य हैं ….
यह बातें बहुत कड़वी हैं शायद धर्मानुसार पाप पूर्ण भी हैं परंतु हैं सत्य। हमारे धर्म गुरु, मठाधीश, महामंडलेश्वर केवल अपनी अपनी चार दीवारों में ही सिमट कर बैठे रहे, केवल अपनी जय जय कार करवाने में ही व्यस्त रहे, उन्होंने कभी भी नहीं देखा कि उनका वह हिंदू समाज जो उन्हें निरंतर आदर देता है उन्हें दक्षिणा के रूप में अपनी आय का बहुत बड़ा हिस्सा भी भेंट करता है, वह हिंदू समाज किस स्थिति में जी रहा है ? हमारे धर्म आचार्यों ने कभी भी इस बात की चिंता नहीं की की हिंदुओं को किस तरह से धर्म परिवर्तन निगल रहा है उन्होंने कभी भी इस विषय पर ध्यान नहीं दिया की कैसे-कैसे उनके श्रद्धालुओं की बहू बेटियां लव जिहाद वालों का शिकार हो रही हैं।
परंतु दूसरी तरफ मौलाना मौलवी लोग निरंतर इस्लाम को फैलाने के प्रयास करते रहते हैं पादरी लोग भी अपनी ईसाइयत को फैलाने के प्रयासों में लगे रहते हैं और अपने प्रयासों में यह लोग सफल भी हो रहे हैं, उन्हें सफल होना भी चाहिए क्योंकि वह इसके लिए प्रयास करते हैं। परंतु ऐसे में हर हिंदू, हर सनातनी के मन में अब यह प्रश्न तो उठने ही लगे हैं कि आखिर हमारे धर्म गुरु, हमारे महामंडलेश्वर, हमारे मठाधीश अपनी आंखें बंद क्यों किए बैठे हैं ?
अगर वह इस बारे में कुछ काम कर भी रहे हैं तो वह काम इतने सीमित दायरे में हैं की उनसे हिंदुओं का कोई भला नहीं हो रहा है। संभव है कि हमारे अपने हिंदू भाइयों को सातन समाचार की यह पीड़ा बुरी भी लगे परंतु एक सनातनी होने के नाते सनातन समाचार का यह धार्मिक कर्तव्य है कि वह अपने धर्म के ऊपर आई हुई आफत के बारे में खुलकर बोले और जोर जोर से बोले।
🚩हर हर महादेव, हर हर महादेव, हर हर महादेव🚩