“They were doing illegal work very peacefully on the land of the temple, they were burying dead bodies but.”
मंदिर की जमीन में मुर्दे दफनाना अधर्म है पाप है किंतु दादागिरी करके ये कुक्रित्य जबरन किया जा रहा था।
सनातन 🚩समाचार🌎 सारे देश में शायद की कोई ऐसा स्थान हो जहां पर हिंदू मंदिरों या उनकी जमीनों पर कब्जा करके उन पर मजारे या कब्रिस्तान ना बनाए गए हों। हर जगह ऐसा कुछ ना कुछ तो मिल ही जाएगा। किसी कारणवश हिंदू पहले अपने इन स्थानों की रक्षा नहीं कर पाए, परंतु अब इसके बारे में सनातन धर्म को मानने वाले सतर्क को हो गए हैं। जिसके चलते अब मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि शवों को दफनाने के लिए मंदिर की जमीन को कब्रिस्तान बनाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
श्रद्धालुओं के आराम के लिए जगह नहीं
हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि शवों को सम्मान सहित दफनाने का अधिकार सभी को है, किंतु मंदिर की भूमि में इन्हें दबाने की अनुमति नहीं दी जा सकती। बता दें कि तमिलनाडु के तिरूचेंदुर में पढ़ते अरुलमिगु सुब्रह्मण्य स्वामी मंदिर के रास्ते में दुकानदारी करने वाले सत्यनारायण नाम के एक व्यक्ति ने सन 2018 में अदालत में एक याचिका दायर की थी जिसमें उन्होंने कहा था इस मंदिर में त्योहारों के मौसम में भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। परंतु उनके आराम करने के लिए आसपास कोई जगह नहीं है।
अरुलमिगु सुब्रह्मण्य स्वामी मंदिर
कब्रिस्तान बना दिया है
सत्यनारायण ने अपनी याचिका में यह भी कहा कि मंदिर के पास लगभग 30 एकड़ जमीन है जिसका प्रयोग पहले आने वाले श्रद्धालुओं की गाड़ियों को खड़ा करने और उनके आराम के लिए प्रयोग किया जाता था परंतु अब इस भूमि का प्रयोग शवों को दफनाने के लिए किया जा रहा है और साथ ही यहां पर रात में अपराधिक गतिविधियां भी होती रहती हैं। उन्होंने इस मंदिर की भूमि को कब्रिस्तान में बदल देने को लेकर पहले जिले के कलेक्टर और मंदिर प्रशासन से निवेदन भी किया था परंतु उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई, जिस कारण उन्हें अदालत का रुख करना पड़ा है।
मंदिर की जमीन धर्म के ही काम आनी चाहिए
सत्य नारायण जी के द्वारा अदालत में दी गई याचिका पर जस्टिस आर महादेवन और जय सत्यनारायण प्रसाद की खंडपीठ ने कहा है कि मंदिर की जमीन को हिंदू धार्मिक और धर्म संबंधी व्यवस्था के लिए ही प्रयोग की जानी चाहिए। इसके साथ ही अदालत ने मंदिर की जमीन को तीन महीने में अतिक्रमण मुक्त करने का आदेश जारी कर दिया है।