“The theft happened again in Bade Hanuman ji’s temple and yet the police have not been able to trace the first theft.”
नहीं हैं हिंदुओं के मंदिर सुरक्षित, कभी तोड़े जाते हैं और कभी चोरियां होती हैं।
सनातन 🚩समाचार🌎 सुबह जब पंडित जी ने मंदिर का द्वार खोला तो उस समय उनके पैरों तले से जमीन ही निकल गई क्योंकि उन्होंने देखा कि मंदिर में पड़ा हुआ दान पात्र टूटा हुआ है और उसमें पड़ी हुई सारी दान राशि गायब है।
ट्रस्टी मंदिर में पहुंचे और
घटना बरेली शहर के प्रसिद्ध बड़ा बाग हनुमान मंदिर की है। यहां पर चोरों ने ये कुकृत्य किया है। चोर यहां के दानपात्र से लाखों रुपये चुरा कर ले गए हैं। सुबह शहर के बड़ा हनुमान मंदिर में चोरी की सूचना मिली तो लोगों में हड़कंप मच गया। आसपास के लोग मौके पर पहुंचे और उन्होंने मंदिर के ट्रस्टीयों को इसकी सूचना दी। इसके बाद ट्रस्टी पर मंदिर में पहुंच गए। इस बारे में लोगों का कहना है कि कड़ी सुरक्षा और गेट बंद होने के बावजूद चोरों ने दानपात्र से नकदी कैसे चोरी कर ली ? दानपात्र से लाखों रुपये की चोरी की आशंका है।
पहली चोरी की गुत्थी अभी तक सुलझी नहीं
पता चला है की मंदिर के ट्रस्टीयों भाजपा के पूर्व मंत्री राजेश अग्रवाल समेत शहर के कारोबारी शामिल हैं। इसके बाद ट्रस्टी ने चोरी की सूचना तुरंत प्रेमनगर पुलिस को दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने छानबीन शुरू कर दी। साथ ही पुलिस मंदिर में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज से भी चोरों की तलाश करने में जुटी है। आपको बता दें कि इस मंदिर में पहले भी चोरी हो चुकी है। तब भी पुलिस सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखकर चोरों की तलाश कर रही थी, लेकिन अभी तक पहले हुई चोरी का खुलासा नहीं हो सका है, और अब ये एक और चोरी हो गई है। ऐसे में लोग पुलिस पर सवालिया निशान उठा रहे हैं। लोगों का कहना है कि जब मंदिर तक सुरक्षित नहीं है तो लोगों के घर कैसे सुरक्षित रहेंगे ?
51 फूट बड़ी प्रतिमा मुख्य द्वार पर
बतादें की सैकड़ों साल पहले नैनीताल रोड पर किला क्षेत्र के आसपास घना जंगल था। जानकारों के अनुसार उस समय वहां पर नागा संत “अलखिया संत” एक वट वृक्ष के नीचे कठोर तप किया करते थे। तप के दौरान उन्होंने यहीं पर एक शिव मंदिर की भी स्थापना की थी। नागा संप्रदाय के पंचायती अखाड़े द्वारा संचालित इस मंदिर की पहचान दूर-दूर तक है। वर्तमान में मंदिर के मुख्य द्वार पर 51 फीट लंबी विशालकाय श्री रामभक्त हनुमान जी की प्रतिमा है। मंदिर परिसर में श्री रामसेतु वाला वह पवित्र पत्थर भी है जो पानी में तैरता है। इस बात का उल्लेख बरेली की प्राचीन देवालय पुस्तक में मिलता है। इस मंदिर का इतिहास लगभग 930 वर्ष पुराना है। यहां का वट वृक्ष भी सैकड़ों साल पुराना है।सोमवार व मंगलवार को इस मंदिर में भक्तों की काफी भीड़ लगती है।