“Sunken city: Nature’s havoc: Maa Bhagwati temple collapsed, Shivling broken, relief work on war footing.”
आरोप : तीर्थ भूमि के इर्दगिर्द भूमिगत सुरंगों से हुई है पवित्र नगरी को भारी हानी।
सनातन 🚩समाचार🌎 उत्तराखंड में भूमि धसने से एक और जहां त्राहि-त्राहि मची हुई है वहीं दूसरी और प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपने सारे कार्यक्रम बीच में छोड़कर 7 जनवरी 2023 को जोशीमठ पहुंचे। वह शहर के कई लोगों से मिले और सारे इलाके का हवाई सर्वेक्षण भी किया। उन्होंने कहा है कि लोगों की जान बचाना उनकी पहली प्राथमिकता है। उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन धंसने के कारण भारी हानि हुई है।
पता चला है कि यहां पर 700 से अधिक घरों में बड़ी-बड़ी दरारें आ गई हैं तथा वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की टीमें घर-घर जाकर सर्वे करने के काम में जुटी हुई हैं। बता दें पी जोशी मठ में हालात इतने बदतर हो गए हैं की घरों में से लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। प्राकृतिक आपदा के चलते उत्तराखंड सरकार ने 600 परिवारों को तुरंत वहां से हटाने का आदेश दिया है। लोगों को राहत देने के लिए सरकार ने एन टी पी सी और एच सी सी से प्रत्येक को 2000 अस्थाई घर बनाने का आदेश दिया है, ताकि पीड़ित लोग उनमें रह सकें।
यह भी घोषणा की गई है कि जो परिवार यहां रहने के बजाए किसी और स्थान पर रहना चाहेंगे उन्हें 4000 रुपए प्रतिमाह अगले 6 महीने तक दिए जाएंगे। आपदा के बारे में मुख्यमंत्री ने कहा कि जोशीमठ हमारा पौराणिक शहर है, तथा उत्तराखंड सरकार इस मामले को लेकर पूरी तरह सावधान है। हमारी प्राथमिकता लोगों की जान बचाना है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जोशीमठ पहुंचकर प्रभावित इलाकों के लोगों से मुलाकात की और साथ ही उन्होंने वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों से भी इस आपदा के बारे में बैठक की है ताकि इस आपदा से लोगों को जल्दी बाहर निकाला जा सके।
उन्होंने आगे कहा है कि सरकार इस तरह की आपदाओं से निपटने के लिए एक दीर्घकालीन योजना बना रही है। इसी बीच पता चला है कि जमीन धंसने के कारण जोशीमठ में मां भगवती का एक प्राचीन और पौराणिक मंदिर गिर गया है। आपदा का एक दुखद पहलू यह भी है कि ज्योतिर्मठ परिसर के बाद अब शंकराचार्य माधवाश्रम मंदिर में स्थित शिवलिंग में भी दरार आ गई है। साथ ही परिसर के लक्ष्मी नारायण मंदिर तथा आसपास के निर्माण में भी बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गई हैं। मठ के प्रभारी ब्रह्मचारी मुकुंद आनंद ने बताया है कि मठ के प्रवेश द्वार लक्ष्मी नारायण मंदिर और सभागार में भी दरारें आ गई हैं।
बता दें कि इसी परिसर में टोटकाचार्य गुफा, त्रिपुरसुंदरी राजराजेश्वरी मंदिर और ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य जी का गद्दी स्थल भी है। इस हुए भू धंसाव के चलते सरकार पूरे शहर को भी विस्थापित करने के बारे में सोच रही है। उधर जोशीमठ की तरह ही करणप्रयाग और उत्तरकाशी में भी भूमि धंसने के कारण घरों में दरारें आई हैं। बिगड़े हालातों को देखते हुए राज्य सरकार ने चमोली जिले के सभी निर्माण कार्यों पर तुरंत प्रतिबंध लगा दिया है। प्रशासन ने जोशीमठ औली रोपवे को भी बंद कर दिया है, और साथ ही हेलंग बाईपास निर्माण कार्य, एनटीपीसी तपोवन विष्णु गार्डन जल विद्युत परियोजना के निर्माण के सभी कार्यों को रोक दिया है।
उत्तराखंड में जारी आपदा को गंभीरता से लेते हुए केंद्र सरकार ने 6 जनवरी 2030 को जोशीमठ में उत्साह का तेजी से अध्ययन करने के लिए एक पैनल का गठन किया है इस पैनल में केंद्रीय जल आयोग पर्यावरण और वन मंत्रालय स्वच्छ गंगा राष्ट्रीय मिशन के प्रतिनिधि और भारतीय भूवैज्ञानिक भी शामिल हैं।
इस आपदा के बारे में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी ने कहा कि जोशीमठ में जमीन धंसने की घटना बेहद चिंताजनक हैं। ऐतिहासिक एवं पौराणिक सांस्कृतिक नगर जोशीमठ खतरे में है। 1 सप्ताह में जमीन धंसने से 500 से अधिक मकान प्रभावित हुए हैं। मकानों में दरारें आ गई हैं। बता दें कि गंगा की अविरलता और बड़े बांधों के खिलाफ आवाज उठाने वाले मातृ सदन के अध्यक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वती ने कहा कि पहाड़ के नीचे बनाई जा रही सुरंगों के कारण पवित्र जोशीमठ धंस रहा है।
इन परियोजनाओं को बंद करने की मांग पूर्व प्रोफेसर ब्रह्मलीन ज्ञान स्वरूप सानंद ने उठाई थी। उन्होंने कहा कि उनकी मांग ना मानने के लोगों को यह दिन देखना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि इन योजनाओं के खिलाफ जिस प्रकार से जोशीमठ के लोग आज उग्र होकर सड़कों पर निकल आए हैं, यदि वह पहले आ जाते तो शायद जोशीमठ का ये हाल ना होता।