"Sister daughters are victims of unwanted pregnancy from Valentine or celebrate this day today__special report"
सनातन संस्कारों का पतन करने वाले इस विदेशी कचरे से बचें।
सनातन🚩समाचार🌎 पुरातन काल से ही सनातन धर्म में अनेक महान परंपराएं रही हैं। ये ऐसी परंपराएं हैं जो आज भी मनुष्य को सही रास्ता दिखाती है। सनातन परंपराओं में माता पिता का आदर भाई बहन का परस्पर प्रेम और समस्त मानव जाति के प्रति सद्भावना की प्रेरणा निहित है। यह कोई कहने की अथवा सुनने की बातें नहीं है बल्कि इसके प्रमाण हैं हमारे वेद शास्त्र। परंपराओं के आदर का एक श्रेष्ठ उदाहरण हमारे सामने है रामायण। महर्षि वाल्मीकि जी के द्वारा रचित श्री रामायण में भगवान श्री राम जी के ऐसे चरित्रों का वर्णन है जो जीवन के हर क्षण के बारे में हमें बताते हैं कि मनुष्य को अपने पिता के साथ माता के साथ भाई अथवा पत्नी के साथ कैसे व्यवहार करना चाहिए।
यही नहीं इससे यह भी पता चलता है कि मनुष्य को अथवा राजा को आम जन के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए। यह हमारी सनातन परंपरा के संस्कारों का श्रेष्ठ ग्रंथ है परंतु यह एक दुर्भाग्य है कि पिछले कई सालों से सनातनीयों के इस महान देश में विदेशी कचरा घुसने लगा है, और विदेशी कचरा भी इतना भयंकर की जिसमें हमारी युवा पीढ़ी बर्बाद हो रही है। इनमें से एक भयंकर गंदगी पूर्ण कचरा है वैलेंटाइन डे वैलेंटाइन डे। 14 फरवरी के दिन किए जाने वाले इस षड्यंत्र को परिपक्व करने के लिए 14 फरवरी से पहले ही फ्लावर डे हग डे किस डे के नाम पर ऐसे ऐसे प्रपंच रचे जाते हैं की उनमें हमारी आज की युवा पीढ़ी गर्त होती जा रही है।
यह गंदगी अपने देश में बढ़ती जा रही थी तो ऐसे में इसका बहुत सुंदर विकल्प ढूंढ निकाला हमारे प्रसिद्ध “संत श्री आसाराम जी बापू” ने
उन्होंने अपने देश के युवक और युवतियों को बर्बादी से बचाने के लिए अपने समाज को एक नया त्यौहार भेंट किया जिसका नाम रखा गया मातृ पितृ पूजन दिवस। उनके द्वारा आरंभ किया गया यह मातृ पितृ पूजन दिवस आज लगभग सारे देश में प्रसिद्ध हो रहा है, और यह बहुत अच्छी बात है की उनके शिष्यों से शुरू हुआ यह कार्य आज बहुत सारे लोग अपना रहे हैं, क्योंकि यह किसी भी जाति पंथ मजहब के लिए नहीं है बल्कि यह मानव मात्र की भलाई के लिए मनाया जाने वाला त्यौहार है आइए जानते हैं मातृ पितृ पूजन दिवस के बारे में……
माता-पिता की पूजा दिवस , जिसे मातृ पितृ पूजन दिवस के रूप में जाना जाता है 2007 में वेलेंटाइन डे के प्रतिकार स्वरूप इस सांस्कृतिक परंपरा को शुरू किया गया था।
यह दिवस पहली बार 14 फरवरी 2007 को संत आसाराम जी गुरुकुल, अहमदाबाद (गुजरात )में मनाया गया था।
यह त्योहार भगवान गणेश जी द्वारा किए गए शिव जी और पार्वती जी के पूजन से प्रेरणा लेता है।
छत्तीसगढ़ प्रदेश संत आशारामजी की सलाह पर 2012 से मातृ-पितृ पूजन दिवस मना रहा है। यह आधिकारिक तौर पर मुख्यमंत्री रमन सिंह के आदेशानुसार स्कूलों और कॉलेजों में ‘छत्तीसगढ़ सरकार’ द्वारा मनाया जाता है।
2013 में भुवनेश्वर के कुछ स्कूलों और कॉलेजों ने माता-पिता पूजा दिवस मनाना शुरू किया।
2015 में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने इसे एक आधिकारिक उत्सव बनाया। 2015 में दक्षिणपंथी राजनीतिक दल अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने इस दिन का समर्थन किया। 14 फरवरी 2015 को, यह एक गैर सरकारी संगठन भारतीय युवा शक्ति द्वारा छत्रपति शिवाजी क्रीड़ा मंडल, नेहरू नगर , कुर्ला में बड़े पैमाने पर मनाया गया । इस आयोजन ने माता-पिता और बच्चों को सैद्धांतिक और व्यावहारिक मूल्य प्रदान किए। यह 2015 से इसे जम्मू में सनातन धर्म सभा द्वारा मनाया जा रहा है।
2017 में मध्य प्रदेश में जिला कलेक्टर ने स्कूलों, युवाओं के लिए एक नोटिस जारी किया और लोगों से 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस के रूप में मनाने का आग्रह किया था।
दिसंबर 2017 में, झारखंड की शिक्षा मंत्री नीरा यादव ने 2018 में राज्य के 40,000 सरकारी स्कूलों में दिवस मनाने के लिए एक नोटिस जारी किया ।
2018 में, गुजरात टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी और स्वामीनारायण इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ने माता-पिता के प्रति सम्मान की पुष्टि करने के लिए माता-पिता पूजा दिवस मनाया।
2019 में, गुजरात के शिक्षा मंत्री, भूपेंद्रसिंह चुडासमा ने 14 फरवरी को मातृ पितृ पूजन दिवस के रूप में मनाने की पहल की सराहना की।
2020 में, गुजरात शिक्षा विभाग ने स्कूलों को 14 फरवरी को माता-पिता की पूजा दिवस आयोजित करने के लिए कहा ताकि बचपन से सर्वोत्तम मूल्यों का पोषण किया जा सके और भारतीय संस्कृति की रक्षा की जा सके।
बता दें कि इस सब के साथ साथ संत श्री आसाराम जी बापू के दुनियाभर में फैले हुए शिष्य इस दिन को एक त्योहार के रूप में हर वर्ष मनाते हैं। हर साल की तरह इस बार भी 14 फरवरी मातृ पितृ पूजन दिवस की धूम मची हुई है। जहां एक तरफ स्कूलों कालेजों मंदिरों में यह आयोजन हो रहे हैं, वही संत श्री आसाराम जी बापू के अनेकों आश्रमों में भी यह मातृ पितृ पूजन दिवस के आयोजन हो रहे हैं।
पंजाब के आज के सभी अखबारों में संत श्री आशारामजी बापू आश्रम लुधियाना की तरफ से बड़े-बड़े विज्ञापन छपवाए गए हैं जिनमें सभी को मातृ पितृ पूजन दिवस मनाने की प्रेरणा व शुभकामनाएं दी हुई हैं। बहरहाल सनातन धर्म के हो रहे पतन को बचाने का यह एक बहुत जबरदस्त साधन है जिसकी प्रशंसा अवश्य की जानी चाहिए।