“School girls wear hijab, boys wear saffron, then girls reach college in hijab, so what now ?”
क्रिया की प्रतिक्रिया तो प्रकृति का नियम है परंतु ये तो खतरनाक है राष्ट्र के लिए।
सनातन🚩समाचार🌎 यह सही है की क्रिया की प्रतिक्रिया तो होती ही है, परंतु यह प्रतिक्रिया तो राष्ट्र के लिए बहुत ज्यादा हानिकारक है क्योंकि पिछले कई सालों से जहां हिंदुओं के खिलाफ कुछ लोगों के द्वारा लगातार विष वमन किया जा रहा था तो अब कुछ समय से उनकी प्रतिक्रिया भी सामने आ रही हैं, परंतु अब जो यह हो रहा है यह निसंदेह चिंता में डालने वाली स्थिति है। क्योंकि स्कूलों विद्यालयों से ही देश के भविष्य का निर्माण होता है, परंतु जब इन्हीं स्थानों पर संप्रदायिक गतिविधियां होने लग जाए तो यह देश के भविष्य पर सवाल खड़ा करती हैं।
पिछले दिनों कर्नाटक के उडुपी के एक स्कूल से शुरू हुआ विवाद अब सारे कर्नाटक में फैल कर एक बवाल का रूप ले चुका है। तब उस स्कूल में पढ़ने वाली 6 छात्राएं स्कूल में यूनिफॉर्म पहनकर आने की बजाय हिजाब पहनकर आने लगी थीं जिसके जवाब में हिंदू लड़के और लड़कियां भगवा ओढ़कर स्कूल में आने लगे थे। बात बढ़ती देख कर स्कूल ने मुस्लिम लड़कियों के हिजाब पहनकर आने की पाबंदी लगा दी थी। तब इन मुस्लिम लड़कियों ने अदालत में अर्जी लगाई थी कि उन्हें हिजाब पहनने की इजाजत दी जाए। उसके बाद से यह मामला सारे कर्नाटक में तूल पकड़ रहा है।
स्कूल की वर्दी की जगह हिजाब और उधर स्कूल की वर्दी के ऊपर भगवा वस्त्र पहनने की घटनाएं अब तक हुबली, उडुपी, कुंडापुर के स्कूल और कॉलेज में हो चुकी हैं जो अभी भी जारी हैं। इन सभी जगह पर जब मुस्लिम लड़कियां हिजाब पहनकर आने लगी तो उसकी प्रतिक्रिया स्वरूप हिंदू लड़के और लड़कियां भी गले में भगवा वस्त्र धारण करके आने लगे हैं।
इसी कड़ी में पिछले गुरुवार 3 जनवरी 2022 कि सुबह कर्नाटक के उडुपी जिले के कुंडापुर के भंडारकर कॉलेज में उसमें उस समय तनाव पैदा हो गया जब 20 से अधिक छात्राएं हिजाब पहनकर कॉलेज में प्रवेश करने लगी तब इन्हें कॉलेज प्रबंधन के द्वारा प्रवेश करने से रोक दिया गया। कॉलेज के प्राचार्य ने छात्राओं से कहा की इस बारे में आप लोगों को नियमों का पालन करना होगा तथा कॉलेज में यूनिफॉर्म में ही आना होगा। परंतु मुस्लिम छात्राएं नहीं मानी और स्कूल स्टाफ से तीखी बहस बाजी करने लगीं। फिर उसके बाद उन्होंने स्कूल के गेट पर ही बैठ कर विरोध करना शुरू कर दिया और हिजाब पहने हुए लड़कियां नारे भी लगाने लगीं।
उनसे कॉलेज के प्रबंधकों ने स्पष्ट बता दिया की कॉलेज में ना तो कोई हिजाब पहनकर आ सकता है और ना ही किसी को भगवा शाल इत्यादि पहन कर आने दिया जाएगा। बता दें इसी कड़ी में चिक मंगलुरू के एक कॉलेज में हिजाब पहनकर आई लड़कियों को देख कर छात्रों ने भगवा वस्त्र ओढ़ कर कॉलेज में आना चालू कर दिया था। इस मामले को लेकर मंगलवार को कई छात्रों ने कॉलेज में धरना भी दिया था। तब पुलिस ने कॉलेज में दाखिल होकर स्थिति को नियंत्रित किया था। इसके बाद कॉलेज प्रबंधन द्वारा छात्रों को समझाए जाने के बाद उन्होंने अपना आंदोलन वापस ले लिया था।
आतंकवादी बना देने की मानसिकता
इस बारे में श्रीराम सेना के अध्यक्ष प्रमोद मुतालिक ने मंगलवार 1 फरवरी को कहा था कि हिजाब पहनकर कॉलेज आने वालों को कॉलेज से बाहर निकाल देना चाहिए। मुतालिक के अनुसार कॉलेज में हिजाब पहन कर आने की जिद छात्राओं को आतंकवादी बना देने की मानसिकता है। उन्होंने आगे कहा कि आज वह हिजाब की बात करते हैं, कल बुरखें की जिद होगी, फिर नमाज और फिर मस्जिद की मांग करने लगेंगे। इस तरह तो सारी शिक्षा व्यवस्था ही बिगड़ जाएगी। स्कूलों को स्कूल ही रहने देना चाहिए ना कि कोई धार्मिक केंद्र।
ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है की स्कूल की आयु के मासूम विद्यार्थियों को आखिर कौन मजहबी कट्टरता सिखा रहा है जो यह विद्यार्थी अब स्कूल की यूनिफार्म की बजाए हिजाब पहनने की मांग कर रहे हैं। बता दें की पड़ोस के इस्लामिक देश पाकिस्तान मैं तो स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थी स्कूलों की ही यूनिफार्म पहन कर जाते हैं। परंतु ऐसा क्या है जो हिंदुस्तान में स्कूलों में पढ़ने वाले इस्लामिक विद्यार्थी अब हिजाब की जिद कर रहे हैं ? जो भी हो यह है तो देश के भविष्य के लिए खतरनाक। सरकार को इसका तुरंत समाधान करना चाहिए।