सरकारी आदेश के बाद दत्तात्रेय पीठ के गर्भगृह में केवल मुस्लिम फकीर दे रहा था हिंदुओं को चरणामृत।
कर्नाटक: चिकमंगलूरु जिले में स्थित भगवान दत्तात्रेय पीठ-बाबा बुदनगिरि दरगाह विवाद से जुड़े मामले में हाई कोर्ट के आदेश से हिंदुओं में खुशी की लहर है। एक महत्वपूर्ण आदेश में कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मंगलवार (28 सितम्बर, 2021) को सरकार के 19 मार्च, 2018 को दिए उस आदेश को रद्द कर दिया है जिसमें केवल एक मुजावर (मुस्लिम फ़कीर) को स्वामी गुरु दत्तात्रेय को फूल चढ़ाने, पाद पूजा और ‘नंदा दीप’ प्रज्जवलित करने के लिए नियुक्त किया था।
धार्मिक अनुष्ठान
एक रोचक बात ये भी है कि श्री गुरु दत्तात्रेय स्वामी पीठ को श्री गुरु दत्तात्रेय बाबा बुदनास्वामी दरगाह के रूप में भी जाना जाता है। इस मामले में कर्नाटक उच्च न्यायालय ने उस सरकारी आदेश को रद्द कर दिया जिसने केवल शाह खदरी द्वारा निर्धारित मजहबी प्रथाओं को निभाने के लिए नियुक्त मुजावर को दोनों धर्मों के धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए नियुक्त किया था। माननीय हाईकोर्ट ने 2018 के सरकारी आदेश को हिंदुओं और मुसलमानों दोनों के अधिकारों का उल्लंघन माना है।
आस्था के विपरीत
HC ने तत्कालीन कर्नाटक सरकार के आदेश को रद्द करते हुए अपने आदेश में कहा है कि संविधान का अनुच्छेद 25 अंतरात्मा की स्वतंत्रता और धर्म के स्वतंत्र अभ्यास और प्रचार सुनिश्चित करता है। जबकि 2018 के सरकारी आदेश से हिंदुओं के धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है, जिनमे मुजावर से ‘पादुका पूजा’ करवाना और उसकी आस्था के विपरीत ‘नंदा दीप’ जलवाने का कार्य है।
साथ ही उच्च न्यायालय ने ये भी कहा है कि राज्य सरकार का यह आदेश दोनों समुदायों (हिंदू और मुस्लिम) को संविधान के अनुच्छेद 25 के अनुसार दिए गए धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन है। न्यायमूर्ति पी एस दिनेश कुमार ने कहा कि सरकारी आदेश में केवल एक मुजावर को गुफा के गर्भगृह में प्रवेश करने और हिंदुओं एवं मुसलमानों दोनों को तीर्थ/चरणामृत वितरित करने की अनुमति दी गई है, जो गलत है।
छोटी सी गुफा
HC के आदेश में यह भी कहा गया है कि मैसूर पुरातत्व विभाग, 1932 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, श्री गुरु दत्तात्रेय स्वामी पीठ बाबा बुदनगिरी में एक छोटी सी गुफा है, जो हिंदुओं और मुसलमानों दोनों के लिए पवित्र है। आदेश में कहा गया है कि व्यवस्थापक आयुक्त ने अपनी रिपोर्ट ने सही दर्ज किया गया था कि श्री दत्तात्रेय को उनकी पुण्य पत्नी अनसूया और हिंदू त्रिमूर्ति, देवताओं, ब्रह्मा, विष्णु और शिव के अवतार ऋषि अथरी के पुत्र के रूप में जाना जाता है।
कर्नाटक उच्च न्यायालय के इस आदेश की भारतीय जनता पार्टी ने सराहना की, जिसमें राज्य सरकार को चिकमंगलूरु के बाबा बुदनगिरी पहाड़ों में स्थित “गुफा मंदिर स्वामी दत्तात्रेय पीठ” में हिंदू पुजारी नियुक्त करने का आदेश दिया है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और चिकमंगलूरु से विधायक सीटी रवि ने फैसले पर खुशी व्यक्त करते हुए ट्वीट भी किया है।
रवि ने कहा कि कॉन्ग्रेस के सिद्धारमैया ने एक मुस्लिम मौलवी को हिन्दू धर्मस्थल के पुजारी के रूप में स्थापित करने के लिए झूठ का ऐसा जाल बुना था जो कई सदियों पहले के इतिहास और परंपरा के साथ खिलवाड़ है।
यह पवित्र मंदिर चंद्र द्रोण रेंज पर है, जो हिमालय और नीलगिरी के बीच की कुछ सबसे ऊँची पर्वतमालाओं में से एक है। यहां विवाद दत्तात्रेय स्वामी पीठ के आसपास है, जो अदालत के दस्तावेजों के अनुसार, मैसूर धार्मिक और धर्मार्थ संस्थान अधिनियम, 1927 के अनुसार एक प्रमुख मुजराई मंदिर था, जिस पर कर्नाटक राज्य वक्फ बोर्ड द्वारा 6 अप्रैल, 1973 को आपातकाल घोषित होने से ठीक पहले पर कब्जा कर लिया गया था। जिसे 1978 में वापस ले लिया गया था, परन्तु हिन्दू-मुस्लिमों के बीच इस बरेबमे निरन्तर विवाद बना रहा।
इस मंदिर पर मुस्लिमों द्वारा कब्जे के बाद से ही मंदिर को ‘श्री गुरु दत्तात्रेय स्वामी पीठ’ और ‘श्री गुरुदत्तात्रेय बाबाबुदन स्वामी दरगाह’ के रूप मे प्रचारित कर दिया गया था। वहीं हिन्दुओं की आस्था के अनुसार और सरकारी रिकॉर्ड में भी यह मंदिर है।
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Only Muslim fakir was doing religious arrangements in the sanctum sanctorum of Lord Dattatreya Peeth, a wave of happiness among Hindus due to this decision of HC