“My Lord got angry, said acrimonious words and rejected the petition of Gaubhakt/Hindu.”
सेकुलर देश में सड़े हुए जातिवाद में उलझे हुए हिंदुओं की याचना को को आज ठुकरा दिया सुप्रीम कोर्ट ने।
सनातन 🚩समाचार🌎 प्राचीन काल से ही गाय हिंदू धर्म का अभिन्न अंग रही है। शास्त्रों में गाय के बारे में कहा गया है: गावो विश्वस्य मातरः !! अर्थात गाय विश्व भर की माता है। महाबली श्री कृष्ण भगवान जी का जीवन ही गौ रक्षा और गौ सेवा में व्यतीत हुआ। आज सभी सनातनी गौ माता को पूज्य मानते हैं, यह बात अलग है कि हिंदुओं का यही हिंदुस्तान आज बीफ एक्सपोर्ट में सभी देशों में से नंबर एक पर है।
गायों को साधुओं को गोलियों से भून दिया था
बताने की आवश्यकता नहीं है कि देश के एक बड़ी राजनीतिक पार्टी के द्वारा बीच सड़क पर सरेआम गाय माता को काट कर, पकाकर खाया गया था और खिलाया गया था। इसके साथ ही गौ माता को राष्ट्रमाता का पद दिलवाने के लिए गायों के साथ दिल्ली पहुंचे साधुओं को और गाय माताओं को गोलियों से भून दिया गया था। जिस कारण कृपात्रि जी महाराज को वह श्राप देना पड़ा था जो आज तक फलित होता दिख रहा है। इस सबके बावजूद हिंदुओं में लगातार गौ माता के लिए श्रद्धा बनी हुई है जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी जिसे आज सोमवार 10 अक्टूबर 2022 को गुस्साए हुए मी लॉर्ड ने खारिज कर दिया है।
हिंदुओं का कौन सा मौलिक अधिकार
दरअसल एक याचिका दायर करके गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने का निर्देश देने की अपील की गई थी। हिंदुओं की इस याचिका पर सुनवाई करने से इनकार करते हुए जस्टिस SK कौल और जस्टिस अभय S ओका की बेंच ने याचना करने वाले से पूछा कि आखिर गाय को राष्ट्रीय पशु ना होने से आपका कौन सा मौलिक अधिकार प्रभावित हो रहा है ? जो आपने अनुच्छेद 32 के अंतर्गत याचिका दायर की है। इसी के साथ उन्होंने सवाल किया कि ……..
आप ऐसी चिढ़ाने वाली याचिकाओं के साथ कोर्ट में क्यों आते हैं ? उन्होंने सवाल किया कि क्या यह अदालत का काम है ? आप ऐसी याचिकाएं दायर ही क्यों करते हैं कि हमें उस पर जुर्माना लगाना पड़े ? कौन से मौलिक अधिकार का उल्लंघन हुआ है जो आप अदालत आए हैं ? क्या हम नकारात्मक नतीजे की परवाह किए बिना इस पर सुनवाई करें ?
सुप्रीम कोर्ट में याचना करने वाले की ओर से प्रस्तुत हुए एडवोकेट ने कहा कि गौ संरक्षण अति आवश्यक है तो मी लॉर्ड ने वकील साहब से कहा कि याचिकाकर्ता पर जुर्माना लगाया जाएगा। इसके बाद उन्होंने याचिका वापस ले ली और हिंदुओं की चिर प्रतीक्षित आशा को सुप्रीम कोर्ट ने नकारते हुए याचिका खारिज कर दी।
हिंदुओं की ओर से यह याचिका एक गैर सरकारी संगठन “गोवंश सेवा सदन” की ओर से लगाई गई थी, जिसमें केंद्र सरकार को गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।