“Makar Sankranti has special importance in Sanatan Dharma, should know everything about this special day.”
ऋतु परिवर्तन के इस दिन करें सूर्योपासना, जप, तप और ध्यान।
सनातन 🚩समाचार🌎 शास्त्रों में संक्रांति के दिन स्नान दान का विशेष महत्व बताया गया है। मकर संक्रांति को खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है। मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य की पूजा करना सबसे सरेष्ठ माना गया है। मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। पुराणों में मकर संक्रांति को देवताओं का दिन बताया गया है। देश के कई भागों में मकर संक्रांति को खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है।
मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है। मकर संक्रांति के दिन से ही ऋतु परिवर्तन भी होने लगता है. मकर संक्रांति से सर्दियां खत्म होने लगती हैं और वसंत ऋतु का आरंभ होता है। मकर संक्रांति के दिन पुण्य और महापुण्य काल में स्नान और दान करना चाहिए। इस विशेष दिन पर स्नान और दान का विशेष महत्व बताया गया है। महान पुरखों द्वारा स्थापित की गई मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन श्री गंगा जी में स्नान करना बहुत शुभ माना जाता है।
इस दिन श्री गंगा जी में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही मकर संक्रांति के दिन दान का भी भारी महत्व बताया गया है। ज्योतिष की विद्वानों के अनुसार भी मकर संक्रांति के दिन किया गया दान सौ गुना फल देता है। मकर संक्रांति के दिन घी, तिल, कंबल, खिचड़ी का दान किया जाता है जिससे भाग्य की रेखाएं बदलती हैं। इस दिन शनि देव के लिए प्रकाश का दान करना भी बहुत शुभ होता है।
ऋषिकेश पंचांग के अनुसार, 14 जनवरी की रात्रि शेष तीन बजकर एक मिनट पर (15 जनवरी को सूर्योदय से पूर्व) सूर्य धनु राशि से निकलकर कर मकर राशि में प्रवेश कर रहे हैं। इसलिए मकर संक्रांति का पुण्य काल 15 जनवरी को मध्याह्न के पूर्व तक विशेष पुण्य काल पश्चात संपूर्ण दिन और अग्रिम तीन दिन तक सामान्य पुण्य काल बना रहेगा। संक्रांति का प्रवेश दिन शनिवार, चित्रा नक्षत्र के तृतीय चरण, सुकर्मा योग और कौलव करण में हो रहा है।
उस समय चंद्रमा की स्थिति तुला राशि पर है। इसके साथ ही पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल, जम्मू कश्मीर में मकर सक्रांति का योग 14 जनवरी का है।शास्त्रों में सूर्य देव को प्रत्यक्ष देव कहा गया है, जो प्रतिदिन साक्षात दर्शन देकर सारे जगत में ऊर्जा का संचार करते हैं। ज्योतिष में सूर्य को नवग्रहों का स्वामी माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य अपनी नियमित गति से राशि परिवर्तन करते हैं। सूर्य के इसी राशि परिवर्तन को संक्रांति कहा जाता है।
इस तरह साल में 12 संक्रांति तिथियां पड़ती हैं। जिनमें से मकर संक्रांति सबसे महत्वपूर्ण है। मकर संक्रांति को उत्तर भारत में खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रीय विधान के अनुसार, मकर संक्रांति पुण्यकाल में पवित्र नदियों में स्नान करके एक तांबे के लोटे में शुद्ध जल लेकर उसमें रोली, अक्षत, लाल पुष्प, तिल और गुड़ मिलाकर पूर्वा दिशा की ओर मुख करके खड़े हो जाएं, दोनों हाथों को ऊपर उठाकर सूर्यदेव को श्रद्धापूर्वक गायत्री मंत्र अथवा 🚩ॐ घृणि सूर्याय नम: , श्री सूर्य नारायणाय नमः मंत्र का जाप कर अर्घ्य दें।
मकर संक्रांति के दिन तिल मिश्रित जल से स्नान, तिल का हवन, तिल से तर्पण, श्वेत तिल युक्त वस्तुओं का दान और सेवन करने से पूर्व जन्म के पाप नष्ट हो जाते हैं। धर्म सिंधु के अनुसार, श्वेत तिल से देवताओं का और काले तिल से पितरों का तर्पण करना चाहिए। मकर संक्रांति के दिन भगवान शिव के मंदिर में तिल के तेल का दीपक जलाना चाहिए।
मकर संक्रांति पर विशेष रूप से दान करने योग्य वस्तुएं ….
1. तिल – मकर संक्रांति पर तिल का दान करना शुभ माना जाता है। तिल का दान करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं।
2 खिचड़ी- मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाना जितना शुभ है उतना ही शुभ इसका दान करना भी माना जाता है।
3. गुड़- इस दिन गुड़ का दान करना भी शुभ होता है। गुड़ का दान करने से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है।
4. तेल- इस दिन तेल दान करना शुभ होता है। ऐसा करने से शनि देव का आर्शीवाद मिलता है।
5. अनाज- मकर संक्रांति के दिन पांच तरह के अनाज दान करने से हर तरह की मनोकामना पूरी होती है।
6. रेवड़ी – मकर संक्रांति के दिन रेवड़ी का भी दान करना भी शुभ माना जाता है।
7. कंबल – इस दिन कंबल का दान करना शुभ होता है। इससे राहु और शनि शांत होते हैं।
🚩ॐ घृणि सूर्याय नम: , श्री सूर्य नारायणाय नमः
मकर सक्रांति विशेष: अवश्य सुने