“Jai Meem people drove 50 families of Jai Bhim people into the forest, vultures of Dalit votes and army people disappeared.”
दलित दलित चिल्ला कर सड़क छाप से बड़े नेता बन झोंपड़े से महलों पे पहुंच तथाकथित दलित मसीहा अब मौन हैं।
मुस्लिम बोले जमीन मदरसे की है
सनातन 🚩समाचार🌎 देश में ऐसे बहुत सारे नेता हैं जो कभी सड़क छाप हुआ करते थे, जो कभी झोपड़ी में रहा करते थे वो जोर-जोर से दलित दलित चिल्ला चिल्ला कर अब बड़े और महान नेता बन चुके हैं। अब उनके पास लाखों-करोड़ों नहीं बल्कि बल्कि अरबों की संपत्ति है। यह अब भी दलित दलित करते तो रहते हैं परंतु दलितों की कभी सुध नहीं लेते हैं। भले ही दलित मार खाएं या भगा दिए जाएं।
नफरती संगठन फैलाते हैं जहर
बेहद गरीबी में जी रहे दलितों को भगाए जाने का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है झारखंड के पलामू गांव से। यहां पर 40 सालों से रह रहे 50 दलित (हिंदू) परिवारों को उनके घर उजाड़ कर जंगल में इसलिए भगा दिया गया क्योंकि अब मुसलमान नहीं चाहते हैं की वो यहां रहें। देश में दलित के नाम पर राजनीति करके सीएम से पीएम तक बने, विधायक से लेकर सांसद बने। लेकिन सारे देश में दलित केवल राजनीति के लिए ही हैं। इतना ही नहीं बल्कि समाज में नफरत फैलाने के लिए ऐसे संगठन बने हुए हैं जो अपने आप को सेना कहते हैं और “जय भीम जय भीम” के नारे भी लगाते रहते हैं।
मुसलमानों ने महा दलितों के 50 घर तोड़ डाले
झारखंड के पलामू गांव से दलित परिवारों को केवल इसलिए पकड़ कर उन्हें जंगल में छोड़ दिया गया क्योंकि वहां की मुस्लिम आबादी नहीं चाहती कि कोई दलित उनके पड़ोस में रहे। यहां दुखद बात यह है कि इस घटना की जानकारी तेजी से फैलने के बाद भी कोई भी तथाकथित दलित नेता इनकी सुध लेने के लिए नहीं पहुंचा ना ही किसी दलित नेता का इस बारे में कोई बयान आया है। मुसलमानों ने मदरसे की जमीन बताकर 50 महादलित परिवारों के घर तोड़ डाले और उन्हें जबरन भगा दिया। पांडू प्रखंड के मोनू महतो गांव में लगभग 40 वर्षों से घास फूस और खपरैल के घर बनाकर गरीब दलित परिवार रह रहे थे। सोमवार की सुबह मुस्लिम समाज के लोग उनके घरों में जा पहुंचे और उन्हें जबरदस्ती वहां से भगा दिया।
जंगल में ले जाकर छोड़ दिया
इतना ही नहीं उन लोगों ने जबरन दलित परिवारों से कागजों पर अंगूठे भी लगवा लिए, और सभी को जबरदस्ती ट्रैक्टर ट्रॉली में भरकर उन्हें दूर जंगल में ले जाकर छोड़ दिया। आरोप लगाया जा रहा है कि घटनास्थल से केवल 10 मिनट की दूरी पर स्थित पांडू पुलिस ने इस बारे में कोई भी कार्यवाही नहीं की। इन पीड़ित दलितों का इस बारे में कहना है कि पिछले 40 सालों से यह जमीन उनके नाम है। वहीं दूसरी और मुसलमान कह रहे हैं कि यह जमीन मदरसे की है। जब यह घटना मीडिया में आ गई तब दूसरे दिन मंगलवार को पुलिस के अधिकारी निकाले गए लोगों को दोबारा उनकी जगह पर बसाने के लिए ले गए।
परंतु वहां पर मुसलमानों ने अपनी सैकड़ों औरतों को आगे करते हुए इनका भारी विरोध किया और इन महादलित परिवारों को फिर से भगा दिया। पुलिस वाले उन्हें समझाने का काफी प्रयास करते रहे परंतु असफल रहे। इस बारे में दलितों के एक बुजुर्ग ने इसरार, मुख्तार, इंतजार, शहाबुमदीना इत्यादि पर आरोप लगाते हुए कहा है कि इन लोगों ने हमारा सारे घरबार तोड़ दिए और हमें यहां से भगा दिया। पुलिस की जब मुसलमानों के आगे एक नहीं चली तब उन्होंने बेघर हुए लोगों को नजदीकी थाना में लाकर अस्थाई रूप से रखा है, तथा उनके लिए त्रिपाल इत्यादि की व्यवस्था की जा रही है साथ ही अब पुलिस के द्वारा उन्हें खाने के लिए चावल और स्त्रियों को साड़ियां इत्यादि दी गई हैं।
कहां हैं “जय भीम जय मीम” वाले ??
यहां बड़ा सवाल यह है कि हमेशा “जय भीम जय मीम” के नारे लगाने वाले लोग अब इस अत्याचार पे मौन क्यों हैं ? अब वो यहां पर दलितों पर हो रहे अत्याचार को रोकने के लिए क्यों नहीं पहुंच रहे ? क्या उनका काम केवल समाज को तोड़ना ही है ? क्या उनका काम केवल देश में आग लगाना ही है ?