"If his name also comes, then he demanded justice for self-sacrifice Lavanya to save the city on fire."
धर्म बचाने के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाली बच्ची को क्या न्याय मिल पाएगा ??
सनातन🚩समाचार🌎 लावण्या हिंदू थी परंतु उसे उसके कॉन्वेंट स्कूल वाले उसे ईसाई बना देना चाहते थे परंतु वह हिंदू ही बने रहना चाहती थी। उस पर स्कूल ने और उसके हॉस्टल के वार्डन ने इतना अत्याचार किया और धर्म परिवर्तन करने का इतना दबाव डाला कि आखिर उसने तंग आकर अपना धर्म बचाने के लिए हॉस्टल के बाग में पढ़ा कीटनाशक पीकर आत्म बलिदान कर दिया (यह खबर हम सनातन समाचार में पहले भी बता चुके हैं)। उस खबर में बलिदानी लावण्या की वह वीडियो भी है जिसमें वह साफ-साफ कह रही है कि उस पर ईसाई बनने का दबाव था जिसके चलते वह बहुत परेशान थी।
अब उसकी मौत के बाद जब लोग उसके लिए न्याय की मांग कर रहे हैं प्रदर्शन कर रहे हैं तो उनके खिलाफ सरकार के द्वारा दमनात्मक कार्रवाइयां की जा रही हैं। बलिदानी लावण्या को न्याय दिलवाने के लिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद जी तोड़ प्रयास कर रही है। इन्हीं प्रयासों के चलते एबीवीपी ने तमिलनाडु में उसके पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया और तमिलनाडु सरकार का पुतला फूंका गया। तुरंत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारियां हो गई। इस बारे में एबीवीपी ने आरोप लगाया है कि लावण्या के आत्म बलिदान के बारे में विरोध प्रदर्शन कर रहे उसके कार्यकर्ताओं को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तार किए गए एबीवीपी कार्यकर्ताओं में संगठन की राष्ट्रीय जनरल सेक्रेटरी निधि त्रिपाठी भी शामिल हैं
इनके द्वारा तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में यह विरोध प्रदर्शन किया जा रहा था। एबीवीपी के अनुसार सत्ताधारी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम ने यह दमनात्मक कार्रवाई की है। संगठन ने वक्तव्य जारी कर कहा है कि हम डीएमके के नेतृत्व वाली सरकार की इस क्रूर कार्रवाई की निंदा करते हैं। यह सरकार पुलिस का प्रयोग करके हमारी न्याय की मांग को दबा नहीं सकती। जब तक धर्म के लिए बलिदान हो जाने वाली लावण्या को न्याय नहीं मिलेगा तब तक हम न्याय के लिए लड़ते रहेंगे। गिरफ्तारियों को गैरकानूनी बताते हुए इसे सरकार का तानाशाही और संवेदनहीन रवैया बताया है। बता दें कि प्रदर्शनकारी मुख्यमंत्री स्टालिन के घर के बाहर लावण्या के आत्म बलिदान के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे।
इस बारे में सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के फैसले में कोई भी दखल देने से स्पष्ट इनकार किया है। तमिलनाडु सरकार ने मद्रास हाईकोर्ट के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी जिसमें लावण्या आत्महत्या मामले की जांच सीबीआई से करवाने का हाई कोर्ट के द्वारा आदेश किया गया था। सुप्रीम कोर्ट का इस बारे में कहना है कि तमिलनाडु सरकार इस विषय को अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न ना बनाए। अदालत ने यह भी कहा कि इस केस में बहुत कुछ हुआ है।
यहां एक बात बहुत आश्चर्य में डालने वाली है कि अगर किसी और समाज कि कोई बात भी कर देता है तो वह लोग शहर को ही आग लगा देते हैं। परंतु ऐसा क्या कारण है कि जब जब भी किसी हिंदू के साथ अन्याय होता है तो अन्याय के विरोध में प्रदर्शन करने पर ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाता है। इसका शायद यही कारण हो सकता है कि हिंदू कभी भी तोड़फोड़ अथवा आगजनी नहीं करते हैं।
बहरहाल अब यह देखना होगा कि आने वाले समय में क्या सीबीआई के द्वारा धर्म के लिए अपने प्राणों की आहुति दे देने वाली लावण्या को न्याय दिलाया जाएगा अथवा नहीं ? ?