“If forced, we will come on the road, Said Kashi ji’s saint @ is there any stone left.”
शिवलिंग का घोर अपमान, मूर्तियां तोड़ी जा रही हैं, अभी भी प्रसाद याद आ रहा है हिंदू संतों को।
संतों की बैठक
सनातन🚩समाचार🌎 वो सर तन से जुदा कर देना चाहते हैं और आप निंदा प्रस्ताव पारित कर रहे हो। चलो देर आए दुरुस्त आए परंतु बहुत ज्यादा देर से आए।
भारतीय जनता पार्टी ने हालांकि नूपुर शर्मा को उसके एक बयान के बाद पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है, फिर भी उसका विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है। जिसके चलते 10 जून 2022 शुक्रवार को नमाज के बाद इकट्ठा हुए लोगों ने लगभग सारे देश में जबरदस्त हिंसा का तांडव किया, जिसमें असंख्य वाहनों को तोड़ा गया, आगजनी की गई, पत्थरबाजी की गई, गोलियां चलाई गई, पेट्रोल बमों से भी हमले किए गए, पुलिस वालों को पीटा गया और हिंदुओं के पवित्र मंदिरों पर भी हमले किए गए
। इन घटनाओं के खिलाफ 11 जून 2022 दिन शनिवार को हिंदुओं की पवित्र नगरी वाराणसी में काशी धर्म परिषद की एक विशेष बैठक हुई है।
तालिबानी मानसिकता को फैलने नहीं दिया जाएगा
इस बैठक में जुमे की नमाज के बाद हुई हिंसा के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित किया गया है। निंदा प्रस्ताव में संतों ने सरकार से मांग की है कि जिन भी मस्जिदों से पत्थरबाजी हुई है उन्हें पूरी तरह सील किया जाए। बता दें कि संतों की यह बैठक सुदामा कुटी हर तीर्थ में पातालपुरी मठ के महंत बालक दास जी की अध्यक्षता में संपन्न हुई है। संतो ने मुस्लिम कट्टरपंथियों के द्वारा किए गए तांडव के खिलाफ 16 प्रस्तावों को पारित किया है। इस अवसर पर उपस्थित सभी संतो ने एक सुर में कहा है कि भारत में किसी भी तरह से तालिबानी मानसिकता को फैलने नहीं दिया जाएगा। इसधर्म परिषद ने नूपुर शर्मा का बलात्कार और उसकी हत्या की धमकियां देने वालों को भी जेल में भेजने की मांग की है।
हमारे भगवानों को अपमानजनक शब्द बोल रहे हैं।
इस धर्म परिषद के बारे में महंत बालक दास जी ने बताया है की भविष्य में काशी में इस तरह की कोई घटना ना घटे इसी को लेकर शांति की अपील की गई है। परंतु यह सोचने का विषय है कि आखिर जुम्मे की नमाज में ऐसा क्या पढ़ाया जा रहा है कि वहां से निकलते ही लोग इतने उग्र हो जाते हैं। 15 – 15 और 16 – 16 साल के नाबालिक बच्चे भी उन्माद में भरकर पत्थरबाजी करते हैं। इस बैठक के बारे में महंत बालक दास जी का कहना है कि नूपुर शर्मा ने तो माफी भी मांग ली है परंतु यह लोग लगातार हमारे भगवानों को अपमानजनक शब्द बोल रहे हैं। नूपुर शर्मा ने तो वही बोला है जो जाकिर नायक ने बोला था। बैठक में हम लोगों ने यह निर्णय लिया है कि अगर दोबारा ऐसा कुछ होता है तो संत समाज कानूनी कार्रवाई करेगा।
“हम लोग पत्थर तो चला नहीं सकते क्योंकि हम प्रसाद बांटने वाले लोग हैं परंतु अगर हमें मजबूर किया गया तो हम को सड़कों पर उतरना ही पड़ेगा”
यहां पर सनातन समाचार का विनम्र प्रश्न यह है कि आखिर ऐसा क्या है जो आप लोग पत्थर चला रहे जालिमों का प्रतिकार नहीं कर सकते ? क्योंकि आप लोग जिस महान धर्म के संत हैं उस सनातन धर्म की तो प्रत्येक चर्चा में शौर्य और शक्ति कूट-कूट कर भरी हुई है। आपने कहा है कि अगर मजबूर किया गया – तो हमारे पूजनीय संत जनों जब आपको दंगाई घसीट कर सड़कों पर ले आएंगे तभी आप लोग धर्म की रक्षा करने के लिए आगे आओगे क्या ??
इस बैठक में पारित किया गया प्रस्ताव ……
इस पारित किए गए प्रस्ताव में सरकार से मांग की गई है कि कट्टरपंथी नमाजियों की संपत्ति जब्त करने, उकसाने वाले संस्थानों पर प्रतिबंध लगाने, पथराव करने या करवाने वाली मस्जिदों को सील करने, ज्ञानवापी से जुड़े मुस्लिम अफसर बाबा को सुरक्षा देने, नूपुर शर्मा को धमकी देने वालों पर एनएसए लगाने, फिल्मों में हिंदू देवी देवताओं का मजाक बनाने वालों को जेल भेजने, नफरत फैलाने वाले मौलाना को गिरफ्तार करने और प्रत्येक मस्जिद में सीसीटीवी कैमरे लगाने की मांग की गई है। इसके साथ ही मजहबी नारे लगाते हुए इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा रांची में पवित्र हनुमान मंदिर में की गई तोड़फोड़ की निंदा का प्रस्ताव भी पारित किया गया है।
निस्संदेह सनातन धर्म के संतो के द्वारा जो भी इस बैठक में कहा गया है वह पूर्णता सही है। परंतु बड़ा सवाल यह है की क्या हमारे संत जनों का मात्र यही कर्तव्य है कि वह किसी भी आरामदायक स्थान पर बैठकर एक निंदा प्रस्ताव पारित कर दें परंतु शारीरिक रूप से धर्म की रक्षा के लिए कभी भी बाहर ना आए ?
सनातन🚩समाचार🌎 बहुत विनम्र याचना करते हुए अपने सभी सनातनी संतो का आह्वान करता है की अब बहुत हो चुका। सारा हिंदू समाज आप लोगों की ओर बहुत आशा से देख रहा है। अब आप लोग अपने बड़े-बड़े मठों से मंदिरों से बाहर आकर धर्म की और अपने हिंदू समाज की रक्षा करने की जिम्मेदारी का पालन करें।