“how do you wear clothes How do you guys like it? Have you ever noticed?”
आपके पहने हुए वस्त्र आपके विचारों और व्यक्तित्व का दर्पण हैं, आपके वस्त्र बता देते हैं की आप क्या हो।
सनातन 🚩समाचार🌎 पहनावा………..पूराअवश्य पढ़ें।।🙏🏻🙏🏻
एक महिला को सब्जीमंडी जाना था…उसने जूट का बैग लिया और सड़क के किनारे किनारे सब्जी मंडी की और चल पड़ी। तभी पीछे से एक ऑटो वाले ने आवाज़ दी : ‘कहाँ जायेंगी माता जी…?” महिला ने ‘नहीं भैय्या’ कहा तो ऑटो वाला आगे निकल गया।
अगले दिन महिला अपनी बिटिया मानवी को स्कूल बस में बैठाकर वापिस घर लौट रही थी…… तभी पीछे से एक ऑटो वाले ने आवाज़ दी :— बहन जी चन्द्रनगर जाना है क्या… ? महिला ने मना कर दिया। पास से गुजरते उस ऑटोवाले को देखकर वह महिला पहचान गई कि ये कल वाला ही ऑटो वाला था।
फिर एक दिन उसी महिला को अपनी सहेली के घर जाना था। वह सड़क किनारे खड़ी होकर ऑटो की प्रतीक्षा करने लगी। तभी एक ऑटो आकर रुका :— ”कहाँ जाएंगी मैडम…?” महिला ने देखा ये वही ऑटोवाला है जो कई बार इधर से गुज़रते हुए उससे पूंछता रहता है चलने के लिए।
महिला बोली :— ”मधुबन कॉलोनी है ना सिविल लाइन्स में, वहीँ जाना है, चलोगे…?”
ऑटोवाला मुस्कुराते हुए बोला :— ”चलेंगें क्यों नहीं मैडम, आ जाइये…! “ऑटो वाले के ये कहते ही महिला ऑटो में बैठ गयी. ऑटो स्टार्ट होते ही महिला ने जिज्ञासावश उस ऑटोवाले से पूछ ही लिया :— भैय्या एक बात बताइये, दो-तीन दिन पहले आप मुझे माताजी कहकर चलने के लिए पूछ रहे थे, कल बहन जी और अब मैडम। ऐसा क्यूँ…? ऑटोवाला थोड़ा झिझककर शरमाते हुए बोला :—जी सच बताऊँ….. आप चाहे जो भी समझेँ पर किसी का भी पहनावा हमारी सोच पर असर डालता है।
आप दो-तीन दिन पहले साड़ी में थीं तो एकाएक मन में आदर के भाव जागे, क्योंकि मेरी माँ हमेशा साड़ी ही पहनती हैं। इसीलिए तब मेरे मुँह से स्वयं ही “माताजी” निकल गया। कल आप सलवार-कुर्तें में थीँ, जो मेरी बहन भी पहनती है। इसीलिए आपके प्रति स्नेह का भाव मन में जागा और मैंने ”बहनजी” कहकर आपको आवाज़ दे दी।
और आज आप जीन्स-टॉप में हैं, और इस लिबास में माँ या बहन के भाव तो नहीँ जागते। इसीलिए मैंने आपको “मैडम” कहकर पुकारा है।
ये घटना बेशक काल्पनिक है, किंतु उपर्युक्त कहानी से हमें यह सीख तो मिलती ही है कि हमारे परिधान (वस्त्र) न केवल हमारे विचारों पर वरन दूसरे के भावों को भी बहुत प्रभावित करते है।🙏🏻🙏🏻
साभार सोशल मीडिया