“Have Hindus also got sense? Lathicharge and tear gas failed in front of numerical strength, finally the administration bowed down.”
डटे रहे डंडे खाते रहे, आंसू गैस से बेहाल होते रहे, वाटर कैनन भी नहीं तोड़ सका इरादे।
सनातन 🚩समाचार🌎 आज तक लगभग होता तो यही आया है कि जब भी हिंदुओं की किन्ही धार्मिक गतिविधियों को रोका गया है तब तब हिंदुओं ने मौन धारण करके उसे अपना भाग्य मान लिया है। परंतु दूसरी ओर अन्य समुदाय के लोग अपनी किसी भी धार्मिक गतिविधि के सामने कोई भी रुकावट सहन नहीं करते हैं, और इकट्ठे होकर जबरन अपनी मनमानी कर लेते हैं। शायद उसी से अब प्रेरणा ले ली है तमिलनाडु में रहने वाले हिंदुओं ने।
बताने की आवश्यकता नहीं है की जलीकट्टू नाम का उत्सव तमिलनाडु का बेहद लोकप्रिय और प्राचीन उत्सव है। जिसको तमिलनाडु के निवासी बहुत उत्साह के साथ मनाते हैं। वास्तव में यह उत्सव एक तरह से शौर्य को भी दर्शाता है, परंतु तमिलनाडु के पुराने और सांस्कृतिक उत्सव की लोकप्रियता जब विधर्मियो की आंखों में चुभने लगी तब उन्होंने राज्य सरकार के पास, स्थानीय हाईकोर्ट और फिर उसके बाद सुप्रीम कोर्ट तक में जलीकट्टू को रुकवाने के लिए अर्जियां लगा दीं।
जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी तमिलनाडु की लोकप्रिय और प्राचीन परंपरा के खिलाफ निर्णय दे दिया, इसके बावजूद भी लोगों में इस उत्सव के प्रति मोहभंग नहीं हुआ।
इस बार 2 फरवरी 2023 को स्थानीय प्रशासन के उस समय हाथ पांव फूल गए जब भारी संख्या में स्थानीय लोग प्रशासन के विरोध में हाईवे पर जमा हो गए। दरअसल तमिलनाडु के कोप्पाचंद्रम में ग्रामीणों ने अपने जलीकट्टू त्योहार की सारी तैयारियां कर ली थीं। जिसके बाद आसपास के गांवों से पारंपरिक रूप से हजारों लोग अपने अपने सैकड़ों जानवरों के साथ वहां पर पहुंच गए थे। सभी लोग पूरे उत्साह में थे और जलीकट्टू उत्सव आरंभ होने ही वाला था, इतने में ही पुलिस वहां पर पहुंच गई और वहां उपस्थित हिंदुओं को अपना उत्सव मनाने से रोक दिया।
पुलिस का तर्क था कि जलीकट्टू के लिए अनुमति नहीं ली गई है। पुलिस के द्वारा इस तरह से उत्सव को रोके जाने से स्थानीय लोग और आसपास से आए हुए ग्रामीण भड़क उठे। उनका कहना था कि इस आयोजन कि उन्हें पहले अनुमति दे दी गई थी परंतु अब प्रशासन अंतिम समय में हमारा उत्सव रोकने के लिए पहुंच गया है। इसके बाद स्थानीय लोग अपना पारंपरिक उत्सव मनाने के लिए तैयार हो गए इस पर जब पुलिस ने उन्हें जबरन रोकने का प्रयास किया तो नाराज होकर लोगों ने हाईवे पर बड़े-बड़े पत्थर रखकर उसे जाम कर दिया और खुद भी हाईवे पर बैठ गए।
लोगों के द्वारा हाईवे जाम कर दिए जाने के बाद जब पुलिस ने उन्हें वहां से हटाने का प्रयास किया तो उन्होंने पुलिस पर पथराव कर दिया। इस बीच प्रदर्शनकारी अपने साथ लाए हुए वाहनों के ऊपर चढ़कर अपने साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ नारे लगाने लगे। पुलिस के द्वारा काफी प्रयास किए जाने के बाद भी जब प्रदर्शनकारी वहां से नहीं होते हटे को पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज कर दिया और, साथ ही पुलिस ने लोगों पर आंसू गैस के गोले भी दागे। इतना सब होने के बाद भी लोग वहां पर डटे रहे। उनका कहना था कि हमारे पारंपरिक उत्सव जलीकट्टू पर प्रबंध क्यों लगाया जा रहा है ?
जब लाठीचार्ज और आंसू गैस से भी काम नहीं बना तो फिर पुलिस ने वाटर कैनन का प्रयोग करके प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने का प्रयास किया। पुलिस की इस कार्रवाई से बहुत सारे लोग घायल हो गए और उधर पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इस प्रदर्शन के दौरान कम से कम 15 पुलिसवाले घायल हो गए हैं। बता दें कि हाईवे रोके जाने के कारण यातायात बुरी तरह से प्रभावित हुआ और घंटो जाम लगा रहा। बेंगलुरु चेन्नई राजमार्ग जाम होने की वजह से वहां लगभग 10 किलोमीटर तक गाड़ियों की लंबी लाइनें लग गईं।
तब स्थिति को और बिगड़ने से बचाने के लिए आखिर प्रशासन ने अपना अड़ियल रवैया त्याग कर हिंदुओं को 2 घंटे तक अपना उत्सव बनाने की अनुमति दे दी। प्रशासन की इस घोषणा के बाद प्रदर्शनकारियों ने अपने घायल हुए साथियों को संभाला और हाईवे को खाली कर दिया। इसके बाद यातायात भी सुचारू रूप से चालू हो गया।