“Everyday the occupation was increasing, so the bulldozers were run on the tomb, now where will Mazari Hindus rub their noses.”
DM के आवास के साथ बनी इस मजार पर गुरुवार को मेला लगता था।
सनातन🚩समाचार🌎 आपको शायद यही पता होगा कि मजार उस स्थान को कहते हैं जहां पर नीचे कोई लाश दबी हुई होती है।परंतु आजकल इस प्रकार की मजारें मिलना बहुत दुर्लभ हो चुका है। आपको सारे देश में जगह-जगह आपको मजारे मिले जाएंगी। मजे की बात यह है कि यह मजारे कोई प्राचीन नहीं है बल्कि यह आधुनिक काल में रातों-रात उगाई गई मजारे हैं। बता दें की दिनों दिन यह मजारे खासकर मुख्य मार्गों पर उग रही हैं। ऐसा भी कहा जा रहा है की मुख्य मार्गों पर बनी इन बाजारों का प्रयोग कभी भी सुरक्षा की दृष्टि से खतरनाक सिद्ध हो सकता है।
मुल्ले शाह की मजार पर
इसके साथ ही ये अवैध मजारें मुख्य सरकारी संस्थानो के आसपास भी बनाई जा रही हैं ताकि इन संस्थानों पर दृष्टि रखी जा सके। परंतु अब लगता है कि सरकार इस तरफ से थोड़ी सी सतर्क हुई है वह भी केवल उत्तर प्रदेश की है। उत्तर प्रदेश के एटा जिले में अतिक्रमण विरोधी अभियान के चलते किसी मुल्ले शाह की मजार पर बुलडोजर चला दिया गया है। सोशल मीडिया पर लोगों के द्वारा इस कार्रवाई को बहुत सराहा जा रहा है परंतु समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश सरकार के इस कार्य का विरोध कर रहे है।
हरि चादरें और अगरबत्तियों की बिक्री
प्राप्त जानकारियों के अनुसार एटा जिले के एडीएम ऑफिस के द्वारा इस कार्रवाई की पुष्टि की गई है एडीएम प्रशासन के अनुसार इससे मजाक के ऊपर अवैध कमरों का निर्माण किया जा रहा था जिन्हें तोड़ दिया गया है क्योंकि इन कमरों में लोगों ने रहना भी चालू कर दिया था, मजार को नहीं हटाया गया है। बताने की आवश्यकता नहीं है कि हर जगह की तरह यहां भी मुल्ले शाह की दरगाह पर हर गुरुवार को मेला लगता था। यहां पर भारी संख्या में हरि चादरें और अगरबत्तियों की बिक्री होती थी। जिन्हें इस मजार पर चढ़ाया जाता था। यहां की देखरेख करने वाले सोनू कुमार नाम के व्यक्ति के अनुसार उसे नहीं पता है कि यह मजार कितनी पुरानी है।
बता दें कि मुल्ले शाह की दरगाह एटा जिला में डिस्टिक मजिस्ट्रेट के बंगले की बाउंड्री से एकदम सटी हुई थी। पहले यह छोटी सी थी परंतु इसे लगातार कब्जा करते करते बढ़ाया जा रहा था जिसे प्रशासन के द्वारा सुरक्षा की दृष्टि से खतरनाक माना गया था। जैसा कि हर जगह होता है यहां भी ठीक वैसा ही हुआ है हर जगह पर मजार बनाए जाने से पहले कोई व्यक्ति वहां आकर बैठना शुरु कर देते हैं फिर धीरे-धीरे 8 – 10 ईंटें रख के उन्हें हरा कपड़ा डालकर बैठता है। और फिर जब भ्रमित हिंदू वहां पर नाक रगड़ना चालू कर देते हैं तब होता है अवैध कब्जे का असली खेल। और देखते ही देखते वहां पर एक बड़ी और हरी मजार बना दी जाती।
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यहां भी ऐसा ही हुआ है। यहां पर कभी डीएम एटा के ड्राइवर रहे प्रेमपाल सिंह ने अतिक्रमण करके मकान बनाना शुरू कर दिया था। फिर भ्रमित हिंदुओं की भेड़ चाल के चलते यहां पर मेला लगना चालू हो गया था। और आखिर इसे गलत मानते हुए प्रशासन ने इस अवैध अतिक्रमण को अब हटा दिया है। मजे की बात यह है कि इस्लाम के अनुसार मजार पर जाना उचित नहीं है इसलिए इन मजारों पर मुसलमान लोग नहीं जाते हैं, बल्कि इन मजारों पर अपना धन समय और श्रद्धा बर्बाद करने के लिए हिंदू ही जाते हैं।
बहरहाल इस अवैध निर्माण को हटा दिया गया है, जिसकी सोशल मीडिया पर जमकर तारीफ की जा रही है परंतु समाजवादी पार्टी के द्वारा इस का विरोध किया जा रहा है। दिबिया पुर से समाजवादी पार्टी के विधायक प्रदीप यादव ने कहा है कि हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर 7 सदस्य प्रतिनिधि मंडल ने इस मामले की जांच की है। हम इस कार्रवाई का विरोध करते हैं। इसकी जांच रिपोर्ट अखिलेश यादव को सौंपी जाएगी तथा साथ ही इस मुद्दे को विधानसभा में भी उठाया जाएगा।