उतराखण्ड देवभूमि में फिर गूंजेंगे 🚩धर्म के जयकारे। आज से आरम्भ है चार धाम यात्रा😊
बीते गुरूवार को नैनीताल हाई कोर्ट ने चार धाम यात्रा पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया था, और आज यानी 18 सितंबर से चार धाम यात्रा एक बार पुनः शुरू होने जा रही है। जिसको लेकर प्रशासन ने सारी तैयारियां पूरी कर ली हैं तथा इस बारे में श्रद्धालुओं के लिए गाइडलाइन्स भी जारी कर दी हैं।
उत्तराखंड में अब एक बार फिर से धर्म की जय-जयकार की गूँज दूर तक सुनाई देने वाली है, क्योकि प्रतिबन्ध हटने के बाद अब श्रद्धालु पुनः अपने ईश्वर के सानिध्य में उनके दर्शन करने जा सकेंगे। चार धामों के कपाट खुलने के चार महीने बाद अब भक्त वहां पर दर्शन करने जा सकेंगे, परन्तु इस बार की नियम व शर्ते कोविड और भक्तो के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए, थोड़ी ज्यादा और अनिवार्य होंगी। चार धाम यात्रा को नज़र में रखते हुए उत्तराखंड प्रशासन ने अपनी कमर कस ली है और तमाम तैयारियां भी कर ली हैं।
गुरुवार को कोर्ट ने हटाया था प्रतिबन्ध
गुरुवार को चारधाम यात्रा को शुरू करने को उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अनुमति दे दी थी । कोर्ट ने हर भक्त या यात्री को कोविड निगेटिव रिपोर्ट या वैक्सीन की दो डोज का सर्टिफिकेट साथ ले जाने के बाद ही वहां एंट्री देने का आदेश दिया है। चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिलों में होने वाली चारधाम यात्रा के दौरान आवश्यकतानुसार पुलिस बल लगाने को भी कहा गया है। कोरोना को देखते हुए भक्तों को किसी भी कुंड में स्नान करने की अनुमति नहीं होगी।
कड़े निर्देश जो श्रद्धालुओं को मानने होंगे।
उत्तराखंड हाई कोर्ट ने यात्रा पर रोक हटाने के साथ साथ कई अन्य दिशा-निर्देश भी दिए, जिसे न केवल प्रशासन बल्कि दर्शन करने जा रहे यात्रियों को भी मानना जरुरी है। तो यदि आप भी चार धाम यात्रा करने के विचार में है, तो इन बातो का विशेष ख्याल रखें।
-बदरीनाथ जी में पांच व केदारनाथ जी में तीन चेक पोस्ट हों।
-भविष्य में अगर कोविड के केस बढ़ते हैं तो सरकार यात्रा को स्थगित कर सकती है।
-जहां-तहां थूकने पर प्रतिबंध लगाते हुए एंटी स्पीटिंग एक्ट को चारों धामो में प्रभावी किया जाए।
-तीनों जिलों के जिला विधिक सेवा प्राधिकरण यात्रा की मॉनिटरिंग करेंगे और उसकी रिपोर्ट हर सप्ताह कोर्ट में देंगे।
-जिलाधिकारी यात्रा को सफल बनाने के लिए स्थानीय लोगों व गैर सरकारी संगठनों की मदद ले सकते हैं लेकिन एनजीओ सही व जिम्मेदार होने चाहिए।
-चारधाम यात्रा मार्ग में जगह-जगह सुलभ शौचालय बनाए जाएं।
-चारधाम यात्रा में प्रत्येक दिन बदरीनाथ धाम में 1000, केदारनाथ जी में 800, गंगोत्री धाम में 600 तथा यमुनोत्री जी में 400 श्रद्धालुओं को ही अनुमति होगी।
-चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिलों में यात्रा के दौरान जरुरत के मुताबिक पुलिस फोर्स लगाएं।
-सरकार चारों धामो में मेडिकल की पूर्ण सुविधा मुहैया कराए। जैसे मेडिकल स्टाफ, नर्स, डॉक्टर, आक्सीजन बेड व वेंटीलेटर आदि
श्रद्धालुओं को आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट तथा जिनको वैक्सीन के दोनों डोज लग चुके हैं, उन्हें वेक्सीनेशन सर्टिफिकेट दिखाना हेागा।
मंदिर परिसर में प्रसाद और तिलक पर प्रतिबंध होगा।
कोविड संक्रमण को देखते हुए चारधामों में दर्शन करने वाले यात्री प्रसाद नहीं चढ़ाएंगे। साथ ही मंदिरों में यात्रियों को तिलक भी नहीं लगेगा। मंदिर में मूर्तियों और घंटियों को छूने, तप्त कुंडों में स्नान पर प्रतिबंध रहेगा। केदारनाथ धाम में एक समय में छह यात्री ही सभामंडप से दर्शन कर सकेंगे। गर्भगृह में जाने की अनुमति नहीं होगी।
केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री धाम में कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए मंदिर परिसर में दिन में तीन बार सैनिटाइजेशन और साफ सफाई की जाएगी। मंदिरों में कोविड प्रोटोकाल का पालन कर मास्क पहनने, सोशल डिस्टेसिंग की निगरानी देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड की ओर से सीसीटीवी कैमरों द्वारा की जाएगी। प्रत्येक धाम में स्वास्थ्य विभाग की ओर से नोडल अधिकारी तैनात किया जाएगा। एसओपी का पालन कराने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन और एसडीएम की होगी।
सरकार व कारोबारियों को छूट
कोर्ट के यात्रा पर लगी रोक हटाने से प्रदेश सरकार के साथ ही अन्य हितधारकों को बड़ी छूट मिली है। पिछले दो साल से यात्रा नहीं होने से आजीविका के संकट से जूझ रहे हजारों व्यवसायियों व तीन जिलों की लाखों की आबादी के भी आर्थिक हित अब पटरी पर लौटने की आशा जगी है। कोर्ट ने भी चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि वर्ष में एक बार चारधाम यात्रा होती है और अक्टूबर में समाप्त हो जाती है। इसमें उस मार्ग में काम करने वाले व्यापारी व स्थानीय लोग यात्रा बंद होने के बाद बेरोजगार हो जाते हैं। उन लोगो की रोजी-रोटी खतरा और अधिक बढ़ जाता है।
26 जून से था चार धाम यात्रा पर प्रतिबन्ध
दरअसल कोरोना के बढ़ते प्रकोप के चलते 26 जून को हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने चार धाम की यात्रा की व्यवस्थाओं पर रिपोर्ट तलब करते हुए चारधाम यात्रा पर रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट ने तर्क दिया था कि वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण से बचाव संबंधी व्यवस्थाएं मुकम्मल नहीं हैं। हाई कोर्ट ने ऐंटी स्पिटिंग और ऐंटी लिटरिंग ऐंक्ट 2016 के अनुसार सभी धामों में सफाई व्यवस्था दुरुस्त रखने के भी आदेश सरकार को दिए थे।