"Birthday cake or something else ?Shri Ram Navami festival also."
सत्य सनातन धर्म की जय, सनातन संस्कारों की जय।
सनातन🚩समाचार🌎सनातन धर्म प्राचीन है, अर्वाचीन है। सनातन धर्म को किसी से ने भी आरंभ नहीं किया है, यह प्रकृति के साथ स्वयं ही उत्पन्न हुआ धर्म है और इसके साथ ही सनातन धर्म की जो मान्यताएं हैं और जो परंपराएं हैं वह अपने आप में वैज्ञानिक हैं दृष्टिकोण से प्रमाणित हैं। आज से कुछ वर्ष पहले तक जो लोग सनातन धर्म के संस्कारों की खिल्ली उड़ाया करते थे, वही लोग आज इसके सामने नतमस्तक हो रहे हैं। भले ही वह नए साल को मनाने की बात हो अथवा किसी के जन्मदिवस की बात हो, शादी विवाह की बात हो अथवा कोई भी कार्य हो सनातन संस्कार हमेशा श्रेष्ठ ही माने गए हैं।
तथाकथित आधुनिक लोग
वर्तमान में तो यह और भी पूरी तरह प्रमाणित हो गया है कि हिंदुओं के प्राचीन संस्कार ही श्रेष्ठ हैं। उदाहरण है कोरोना। इस भीषण वायरस ने सारी दुनिया के सामने हिंदुओं के वह संस्कार लाकर सामने धर दिए जिन्हें कभी तथाकथित आधुनिक लोग हीन भावना से देखते थे। अब फिर से वही संस्कार हैं – हाथ धोवो, कपड़े धोवो, दूर रहो, शुद्ध रहो, मुंह को ढक के रखो, हाथ मत मिलाओ दूर से ही राम-राम कर लो इत्यादि इत्यादि। मॉडर्न लोग अब घूम फिर कर वापिस अपनी जड़ों की ओर लौट रहे हैं, परंतु बहुत सारे लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने कभी अपने संस्कारों का त्याग किया ही नहीं।
पुष्पों से स्वास्तिक चिन्ह
ऐसा ही सुंदर दृश्य देखने को तब मिला जब सनातन🚩समाचार🌎एक मोहल्ले के मैं चल रहे एक जन्मदिन के उत्सव में पहुंचा। वहां जाकर हमें यह देख कर बहुत प्रसन्नता हुई की उस मोहल्ले की सबसे बुजुर्ग महिला का सारा मोहल्ला मिलकर बहुत चाव से जन्म दिवस मना रहा था, और जन्मदिवस भी पूरी पवित्रता वाला। जिसमें सभी मिलकर सामूहिक भजन कीर्तन कर रहे थे और विशेष बात यह देखी गई कि जन्मदिन के इस अवसर पर केक नहीं काटा गया ना ही मोमबत्तियां बुझाई गईं बल्कि जो शुद्ध पारंपरिक संस्कार है उसी के अनुसार एक थाली में पुष्पों से स्वास्तिक चिन्ह बनाया गया था, जिसमें चार दीपक सजा कर रखे गए थे जिन्हें जन्मदिन मनाए जाने के समय जलाया गया।
विदेशी परंपरा पर विश्वास नहीं करते
इस अवसर पर उपस्थित हुए सारे मोहल्ले वालों ने अपने अपने भाव से अपनी मोहल्ले की बुजुर्ग महिला को बधाइयां दी और उनसे आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर वहां उपस्थित महिलाओं से बात करने पर हमें एक महिला ने बताया कि हम अपने जन्मदिन केक काटकर नहीं मनाते बल्कि इसी तरह मां भगवती का भजन कीर्तन करते हुए भगवान का स्मरण करते हुए मनाते हैं। एक अन्य महिला ने कहा हम बिल्कुल भी केक काटने की विदेशी परंपरा पर विश्वास नहीं करते, हमें तो अपना यह है पवित्र संस्कार ही अच्छा लगता है।
खांसी जुकाम, बुखार
इस अवसर पर एक अन्य महिला ने बताया की आजकल जो केक काटा जा रहा है वह बहुत ही दूषित कार्य है। केक के ऊपर मोमबत्ती जलाई जाती है, फिर उसे फूंक मार कर बुझाया जाता है तो फूंक के साथ भी केक पर थूक के कण भी पढ़ते हैं। किसी को खांसी जुकाम, बुखार है तो उसके कीटाणु भी केक में चले जाते हैं, और फिर काटकर वही आगे-आगे झूठा झूठा सभी को खिलाया जाता है। उन्होंने यह भी बताया कि हमारे हिंदू संस्कारों में मोमबत्ती बुझा कर अंधेरे में नहीं बल्कि दीप जलाकर पुण्य कार्य किए जाते हैं। इसलिए हम दीए जलाकर ही मांगलिक कार्य करते हैं, अथवा जन्मदिन भी हम इसी प्रकार मनाते हैं।
“पंडित मनोज मिश्रा” जी
सनातन समाचार ने देखा कि इस अवसर पर सामूहिक भजन कीर्तन तो हो ही रहा था उसके साथ ही शहर के एक प्रसिद्ध कथा वाचक “पंडित मनोज मिश्रा” जी भी वहां पधारे हुए थे। जिन्होंने अपनी मधुर वाणी से बहुत प्रेरणादाई और धर्मोचित बातें करते हुए लोगों को धर्म के बारे में बताया। इस सब के बाद विधिवत आरती की गई और उसके बाद प्रसाद वितरण भी किया गया। बता दें कि इसी दिन श्री राम नवमी का उत्सव भी था जिस कारण इस मनाए गए जन्मदिन का उत्साह के बारे में उपस्थित सभी लोगों में बहुत उत्साह था।
सनातन समाचार इस प्रकार के पारंपरिक और अच्छे संस्कार प्रसारित करने वाले आयोजकों को सदैव नमन करता है, और आशा करते हैं कि शीघ्र ही सभी सनातनी इसी तरह अपने पवित्र संस्कारों का पालन करने लगेंगे।