“88 year old saint has been suffering for 1 lakh hours, there is no relief even for 1 second, said senior journalist Aman Bagga.”
88 वर्षीय बीमार हिंदू संत को ना बेल ना पैरोल, स्वास्थ्य के अधिकार से वंचित रखना संविधान के अनुच्छेद 21 का खुला उलंघन।
सनातन🚩समाचार🌎 जालंधर (पंजाब) : हिंदू संत श्री आशाराम जी बापू के दिन प्रतिदिन खराब हो रहे स्वास्थ्य के बावजूद बेल ना मिलने से पंजाब की सुप्रसिद्ध पत्रकारों की संस्था डिजिटल मीडिया एसोसिएशन के प्रधान व वरिष्ठ पत्रकार अमन बग्गा ने गहन चिंता जताई है।
पत्रकार अमन बग्गा ने कहा कि जब देश के कई खतरनाक अपराधियों, आतंकवादियों गैंगस्टरों, नेताओं अभिनेताओं और कई धर्म गुरुओं को मानवाधिकारों के नाम पर बेल या पैरोल दी जा सकती है तो आखिर क्यों लगभग 11 वर्ष, लगभग एक लाख घंटे और 60 लाख मिनट बीत जाने के बावजूद 88 साल के एक वृद्ध और गंभीर बीमार हिंदू संत को आज तक एक मिनट की न तो बेल मिली और न ही पैरोल।
उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान में सभी को व्यक्तिगत स्वतंत्रता एवं जीवन की सुरक्षा का आश्वासन दिया गया है। संविधान में सभी को मौलिक अधिकार प्रदान किये गए हैं तो क्या भारत देश में ये मौलिक अधिकार एक हिंदू संत के लिए नही हैं ।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत स्वास्थ्य के अधिकार (राइट टू हेल्थ) को एक मौलिक अधिकार माना गया है तो हिंदू संत को उन के अनुकूल उत्तम स्वास्थ्य के अधिकार से वंचित रखना कही न कही भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 की धज्जियां नही उड़ रही हैं क्या।
उन्होंने कहा जब मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 16 फरवरी 2024 को लावा इंटरनेशनल मोबाइल कंपनी के प्रबंध निदेशक 57 वर्षीय हरिओम राय को अपनी पसंद के अस्पताल में हृदय रोग का इलाज कराने के लिए बेल दी जा सकती है, यूपी के माफिया डॉन रहे मुख्तार अंसारी के साले आतिफ रजा उर्फ़ सरजील रजा को कैंसर का इलाज कराने के लिए जमानत मिल सकती है। 13 हजार 500 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के आरोप मे हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी को स्वास्थ्य कारणों की वजह से बेल दी जा सकती है।
जब 1000 लोगों का धर्मांतरण कराने के आरोप में गिरफ्तार मौलाना कलीम सिद्दीकी को जमानत दी जा सकती है, बिलकिस बानो केस में रमेश चंदना को भतीजे की शादी में शामिल होने के लिए 10 दिनों का पैरोल दिया जा सकता है, तो संत श्री आशाराम जी बापू को उन के पसंद के अस्पताल में जानलेवा बीमारियों के इलाज कराने के लिए बेल क्यों नही दी जा रही हैं।
उन्होंने कहा कि इस देश के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (नेशनल ह्यूमन राइटस कमीशन) को हिंदू संत के मौलिक अधिकारों का हो रहा हनन दिखाई क्यों नही दे रहा है। क्या आयोग कुंभकर्णी नींद सो रहा है, उन्होंने कहा कि एक देश एक कानून एक संविधान तो हिंदू संत के लिए न्यायालय की तरफ से ये दोहरा मापदंड नही अपनाया जा रहा है क्या।
उन्होंने कहा कि पूज्य संत श्री आशारामजी बापू, जिन्हें हृदय की 3 धमनियों में (99%, 90%, 80-85%) ब्लॉकेज है, साथ ही आँतों में रक्तस्राव की समस्या, ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया आदि कई गम्भीर तकलीफें भी हैं, जिनके चलते जोधपुर एम्स अस्पताल ने उनको हाई रिस्क केटेगरी पेशेंट घोषित करते हुए हाथ खड़े कर दिये हैं। पिछले 4 महीनों में उन्हें अनेक बार हार्ट अटैक आ चुका है। ऐसी गंभीर स्थिति में भी बापूजी के अनुकूल चिकित्सा के लिए अदालत में राहत हेतु बार बार लगायी गई अब तक की सभी अर्जियाँ खारिज कर दी गयी हैं।
उन्होंने कहा कि हिंदू संत श्री आशारामजी बापू के साथ हो रहे इस घोर अन्याय के खिलाफ, पूज्य बापू जी के अनुकूल उपचार व त्वरित रिहाई की माँग को लेकर देशभर में रैलियों, धरना-प्रदर्शनों आदि द्वारा समाज सड़कों पर उतर कर चीख चीख कर न्याय की मांग कर रहा है।
उन्होंने कहा कि अब बिना देरी किए पूज्य बापू जी को उनके अनुकूल उपचार की सुविधा उपलब्ध करायी जानी चाहिए व शीघ्रातिशीघ्र ससम्मान रिहा किया जाना चाहिए।