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“Heaven is available, Hindus are dirty, Madarsa is illegal, Maulvi was inculcating it in the minds of innocent children.”
अगर उनके चंगुल से मासूम बच्चे ना निकाले जाते तो वो अवश्य ही बनते शैतान।
सनातन🚩समाचार🌎 हिंदुस्तान के संविधान के अनुसार देश में रहने वाले सभी धर्म और मजहब के लोगों को अपने धर्म और मजहब के अनुसार जीने के समान अधिकार प्राप्त हैं। किंतु यह निर्विवाद सत्य है कि कई लोगों को सनातन धर्म से बहुत घिन है जिसके प्रमाण लगातार सामने आते भी रहते हैं।
अभी हाल ही में हुई एक घटना ने फिर से यह साबित कर दिया है की एक खास समाज के लोग सनातन धर्म से बहुत घिन करते रहते हैं। दरअसल इस बात का खुलासा तब हुआ जब एक अवैध मदरसे से 21 बच्चों को बचाया गया। मामला उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का है। यहां के दुबग्गा में एक मदरसा चल रहा था जहां से 7 से 15 वर्ष की आयु के बच्चों को रेस्क्यू किया गया है।
बच्चों को बरामद करने के बाद इन्हें मोहन रोड पर पढ़ते राजकीय बल ग्रह में रखा गया है। पता चला है की इस मदरसे में बछोंवको पढ़ने वाला हाफिज/मौलवी बच्चों को जन्नत में जाने के फार्मूले बताया करता था। यह व्यक्ति मासूम बच्चों को यह भी कहता था कि एक हाफिज अपने साथ 10 बच्चों को जन्नत में लेकर जाता है। इतना ही नहीं यह मौलवी बच्चों के दिमाग में यह भी डाल रहा था की हिंदू गंदे होते हैं इसीलिए उनका पुनर्जन्म होता है किंतु अल्लाह की राह पर चलने वाले मुसलमान जन्नत में जाते हैं।
इस बारे में राज्य बाल संरक्षण आयोग की सदस्य डॉक्टर शुचिता चतुर्वेदी ने बताया है कि जिस तरह से इन बच्चों का ब्रेनवाश किया जा रहा था वह किसी बड़ी साजिश की ओर इशारा कर रहा है। उन्होंने कहा कि जो बच्चे ठीक से हिंदी तक नहीं बोल पाए वह “पुनर्जन्म” बहुत अच्छी तरह बोल रहे हैं। यह बच्चे हिंदू धर्म और इस्लाम में अंतर बता रहे हैं। डॉक्टर शुचिता ने आगे कहा की इन बच्चों को मदरसे में दीन की शिक्षा दी जा रही थी और इन्हें जन्नत के सपने दिखाए जा रहे थे।
उन्हें पढ़ाई लिखाई से दूर रखा जा रहा था। डॉक्टर शुचिता चतुर्वेदी ने राज्य के मुख्य सचिव को एक पत्र लिखकर सुझाव दिया है कि एक कमेटी बनाकर इसकी जांच की जाए, और ऐसे मदरसों पर रोक लगाई जाए। डॉक्टर शुचिता के अनुसार राज्य में ऐसे सैकड़ो मदरसे संचालित किए जा रहे हैं। बता दें कि बिहार के दरभंगा में रहने वाले अफसान और इरफान नाम के व्यक्ति दुबग्गा में अवैध मदरसा चला रहे थे।
बाल आयोग के सदस्यों के अनुसार अवैध मदरसा चलाने वाले लोग मुस्लिम समाज से जकात/दान के नाम पर पैसे लेते थे और जकात के पैसों से निजी संपत्ति भी बना रहे थे। जकात में मिले पैसों से एक ट्रस्ट का गठन करवाया गया था जिसमें 3,50,000 रुपए जमा हुए बताए जा रहे हैं। मीडिया सूत्रों की मांने तो जकात के पैसों से इन्होंने निजी जमीन भी खरीदी है। यह मदरसा आवासीय शिक्षा के नाम पर खोला गया था इसमें बच्चों को इस्लाम की शिक्षा दी जा रही थी। उनके पास बच्चों के माता-पिता का सहमति पत्र भी नहीं था।
जिस मकान में मदरसा चलाया जा रहा था उसका एग्रीमेंट भी इनके पास नहीं है, यहां तक की मदरसा में शौचालय तक नहीं है। अब इनके खिलाफ मामला दर्ज करने की तैयारी चल रही है। इस घटना के बाद जिला प्रोबेशन अधिकारी विकास सिंह ने 3 मई 2024 को राजकीय बाल ग्रह का निरीक्षण किया और बच्चों से बातचीत की। इस दौरान 7 साल के एक बच्चे ने कहा अंकल जी अब्बा अम्मी की बहुत याद आ रही है उन्हें बुला दीजिए।
इस पर अधिकारी ने कहा कि वह जल्दी ही आने वाले हैं। विभाग की माने तो लखनऊ के दुबग्गा के एक घर में यह अवैध मदरसा चलाया जा रहा था। इसके बारे में सूचना मिलने पर 1 मई 2024 को विभाग ने कार्रवाई करते हुए 21 बच्चों को इस मदरसे से रेस्क्यू किया है। बता दें कि यह सभी बच्चे बिहार के रहने वाले हैं।