“The court has got the evidence, now worship of Lord Shiva should start in Gyanvapi Shiva temple also, said the chief priest of Shri Ram Lala Ji.”
दीवारों पर महादेव का नाम, तहखाने में देवी-देवता… हिंदू मंदिर पर टोपी नुमा छत डाल कर घोषित किया था मस्जिद। ASI ने प्रमाण दे दिए।
सनातन🚩समाचार🌎 लगता है कि हिंदुओं के रिसते घावों का अब भरने का समय आ गया है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा जीतने के बाद अयोध्या जी में श्री राम लला जी का भव्य मंदिर तो बन ही चुका है। अब उसके बाद काशी तीर्थ में ज्ञानवापी के बारे में भी बहुत शुभ सूचना सनातनियों को मिल चुकी है। बताने की आवश्यकता नहीं है कि काशी जी में स्थित ज्ञानवापी ढांचा भगवान शिव का मंदिर ही है।
इसके बारे में अब ASI ने अदालत के आदेश से जो प्रमाण सार्वजनिक किए हैं उनसे यह सिद्ध हो गया है कि ज्ञानवापी ढांचा वास्तव में पहले एक मंदिर ही था। हालांकि इस ढांचे की दीवार को कोई अंधा भी छूकर बता सकता है कि यह दीवार मंदिर की है। भगवान भोलेनाथ के इस मंदिर का विध्वंस करके उसके ऊपर टोपी नुमा छत लगाकर इसे मस्जिद घोषित कर दिया गया था जिसमें मुस्लिम समाज के लोग नमाज पढ़ रहे थे।
आपको याद दिला दें कि इस ढांचे में एक शिवलिंग भी मिला था जिसे मस्जिद पक्ष के लोग फवारा बता रहे थे। उसको पानी में डुबोकर उसके चारों ओर पानी भरकर अपने पैर धोते थे और कुल्ला करते थे। अब ज्ञानवापी ढांचे में ऐसे असंख्य प्रमाण मिल चुके हैं जिनसे सिद्ध होता है कि यह कभी मंदिर ही था। इस बारे में अयोध्या जी के श्री राम मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास ने कहा है कि काशी स्थित ज्ञानवापी ढांचा भगवान शिव का मंदिर है।
कोर्ट को सबूत मिल गए हैं, और अब उसे हिंदुओं के पक्ष में आदेश पारित कर देना चाहिए ताकि वहां भगवान शंकर जी का पूजा पाठ शुरू किया जा सके। उन्होंने आगे कहा कि ज्ञानवापी सर्वे में जो सबूत मिले हैं उनमें शिवलिंग, नंदी की मूर्ति, शिवलिंग के आकार का पत्थर आदि अनेक प्रमाण उसका मंदिर होने की पुष्टि करते हैं। मुख्य पुजारी सत्येंद्र नाथ दास जी ने कहा कि अयोध्या में श्री राम मंदिर का मामला भी इसी तरह का था। वहां भी मंदिर को तोड़ा गया था और उसकी जगह मस्जिद बनाई गई थी।
#WATCH | Ayodhya: ON Archaeological Survey of India's report on the Gyanvapi case, Chief Priest of the Shri Ram Janmabhoomi Teerth Kshetra, Acharya Satyendra Das says, "It has always been a temple. It is good that they made their findings public. People will also get to know that… pic.twitter.com/twVy68PRiM
— ANI (@ANI) January 26, 2024
दोनों मामलों में समानता है और उसी तरह न्याय होना चाहिए। दास ने आगे कहा कि रिपोर्ट आने के बाद हिंदुओं के पक्ष में तो कई सबूत मिल गए हैं जबकि मुस्लिम पक्ष की ओर से कोई भी सबूत नहीं मिला है। इसलिए कोर्ट को मंदिर के पक्ष में आदेश पारित करना चाहिए।
बताते चलें की 18 दिसंबर 2023 को ASI ने कोर्ट में सील बंद लिफाफे में अपनी कोर्ट को अपनी सर्वे की रिपोर्ट सौंप दी थी। उस समय हिंदू पक्ष की ओर से रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग की गई थी किंतु मुस्लिम पक्ष ने इस पर आपत्ति जताई थी। इसके बाद 24 जनवरी 2024 को वाराणसी की अदालत ने निर्णय लिया कि सर्वे की कॉपियां हिंदू पक्ष और मुस्लिम पक्ष को दे दी जाएं। ज्ञानवापी ढांचे के एएसआई द्वारा किए गए सर्वेक्षण के बाद सामने आई 839 पेज की रिपोर्ट से साफ पता चल रहा है कि ज्ञानवापी ढांचा कभी एक बड़ा हिंदू मंदिर था।
#WATCH | Varanasi, Uttar Pradesh | Advocate Vishnu Shankar Jain, representing the Hindu side, gives details on the Gyanvapi case.
— ANI (@ANI) January 25, 2024
He says, "The ASI has said that the pillars and plasters used in the existing structure were studied systematically and scientifically for the… pic.twitter.com/JYwmKkTDxE
ज्ञानवापी ढांचे मैं हिंदू मंदिर के खंभे दीवारें और शीला पट्ट मिले हैं। ASI की रिपोर्ट आने के बाद हिंदू पक्ष के वकील श्री विष्णु जैन ने इस बारे में मीडिया को बहुत कुछ बताया है। उन्होंने कहा है की रिपोर्ट में मंदिर होने के 32 सबूत मिले हैं, जिनके अनुसार ज्ञानवापी पहले एक बड़ा हिंदू मंदिर था। बता दें की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की रिपोर्ट में कुछ ऐसे चित्र भी सामने आ गए हैं जिनको देखकर हिंदुओं का अक्रोशित होना स्वाभाविक ही है। बहरहाल अब आगे देखना होगा कि अदालत का आखिरी निर्णय ज्ञानवापी के मसले पर क्या आने वाला है ?
देवाधिदेव महादेव भगवान शिव के तीसरे नेत्र की भांति ज्ञानवापी का सच अब खुल गया है।
— Satish Chandra Misra (मोदी का परिवार) (@mishra_satish) January 26, 2024
पाकिस्तान समेत कट्टरपंथियों में हाहाकार मचा है। पाकिस्तान तो यूएन तक दौड़ लगा रहा है। pic.twitter.com/MqtmqM77GD
क्या-क्या पाया गया ज्ञानवापी ढांचे में….
दीवारों पर कन्नड़, तेलुगु, देवनागरी और ग्रंथा भाषाओं में लेखनी मिली है।
सबसे बड़ी चीज जो इस रिपोर्ट में आई वो भगवान शिव के 3 नाम दीवारों पर लिखे मिले हैं- जनार्दन, रुद्र और ओमेश्वर।
ढाँचे के सारे खंभे भी गवाही दे रहे हैं कि वह पहले मंदिर का हिस्सा थे उन्हें मॉडिफाई करके वहाँ नए ढाँचे में शामिल किया गया।
ढाँचे की पश्चिमी दीवार से भी पता चलता है कि वो मंदिर की दीवार है जो 5 हजार साल पहले की नागर शैली में निर्मित है।
दीवार के नीचे 1 हजार साल पुराने अवशेष भी मिले हैं।
ये भी पता चला है कि ढाँचे से पहले मंदिर में बड़ा केंद्रीय कक्ष और उत्तर की ओर छोटा कक्ष था।
कुछ खंबों से हिंदू चिह्नों को मिटाने के भी प्रमाण मिले हैं।
इतना ही नही हनुमान जी और गणेश जी की खंडित मूर्तियाँ, दीवार पर त्रिशूल की आकृति भी मिली हैं। साथ ही तहखाने में भी हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियाँ मिलीं।
यह भी पता चला कि ढाँचे का गुंबद महज 350 साल पुराना है जबकि उसके परिसर में मिलने वाले हिंदू साक्ष्य हजारों वर्ष पुराने हैं।
ढाँचे के निर्माण संबंधी एक शिलापट पर अंकित समय को मिटाने का भी प्रयास हुआ है।
ASI रिपोर्ट से निष्कर्ष आया है कि 2 सितंबर 1669 को मंदिर ढहा दिया गया था।