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“The trend of “pre-wedding shoot”, is it a necessity of today or a petty mentality? a discussion.”
सेक्स और रिलेशनशिप के विषय में आज की पीढ़ी से संवाद करना समुद्र मंथन करने जैसा है।
सनातन🚩समाचार🌎 “प्री वेडिंग शूट” का ट्रेंड यानी रिवाज आज से लगभग सात आठ साल पहले शुरू हुआ था।
कांसेप्ट यह था की होने वाले वर वधु सगाई के बाद और शादी से पहले के समय में किसी सुनसान लोकेशन पर जाते हैं।
उनके साथ कैमरा मैन होते हैं जो उस लोकेशन पर विभिन्न मुद्राओं में उनकी तस्वीरें खिंचते हैं और वीडियो शूट कर के उनके बीच फूट रहे प्रेम को प्रदर्शित करते हैं।
यह ट्रेंड यानी रिवाज़ तब तक सबको बहुत सुहा रहा था जब तक फोटो या वीडियो साधारण हुआ करते थे। परंतु आजकल इस ट्रेंड में अश्लीलता घुस गई है।
पहले लड़का लड़की हाथों में हाथ डाले नदिया किनारे टहलते दिखाई देते थे। एक दूजे की आंखों में आखें डाल कर मुस्कुराते दिखाई देते थे। फिर इस साधारण से इस ट्रेंड को कुछ जोड़ों ने असाधारण बनाने की ठान ली। प्री वेडिंग शूट में एक दूजे से लिपटना ….एक दूजे को चूम लेना आदि इत्यादि होने लगा। कुल मिला कर प्री वेडिंग शूट को ……..”सेक्सी” बनाने का ट्रेंड चलने लगा।
हालांकि विवाह के बाद एक दूजे को गले लगाना या चूमने से किसी को क्या आपत्ति हो सकती है ? ये सब विवाह संस्कार का एक भाग है।
लेकिन आपत्ति तब होती है जब एक दूजे पर प्रेम वर्षा कर रहे जोड़ों का वह बेहद पर्सनल वीडियो शादी के समय मेहमानों के आगे बड़ी स्क्रीन पर चलाया जाता है।
गत वर्ष हमारे एक युवा मित्र की सगाई हुई थी।
इस वर्ष शादी से पहले कन्या (उनकी होने वाली पत्नी) ने आधी रात बंधु को फोन कर के कहा कि उन्होंने “प्री वेडिंग शूट” की लोकेशन और शूट करने वाले कैमरा टीम फाइनल कर ली है।
शूटिंग राजस्थान के एक किले में की जायेगी।
यह सुन के बंधु घबरा गया। बार बार भावी वधु के आग्रह करने पर उसने उखड़े स्वर में बोल दिया – मैडम मुझसे यो प्री वेडिंग शूट वाला चोंचला नहीं हो पायेगा।
बंधु के मना करने पर दोनों में आधी रात भारी बहस बाजी हो गई। देसी भाषा में – भयंकर लट्ठ बज गया।
क्या है ना ….. स्त्री पुरुष को लड़ने के लिये सारी उम्र मिलती है। परंतु सगाई और शादी के बीच के समय यूं विवाद हो जाना …..अच्छी बात नहीं है।
खैर …..मैं अगले दिन बंधु से मिला। इस विषय पर थोड़ी बहुत बात हुई।
मैंने भी उसे कहा के भाई ….होने वाली पत्नी है। जिद ना कर । एक आध दिन घूम फिर आ। फोटू खिंचवा ले….वीडियो बनवा ले।
कन्या भी खुश ….तू भी खुश….. सब खुश…..दिक्कत क्या है?
लडके ने जो जवाब दिया…… कसम से मेरी बोलती बंद हो गई।
बोला…… “भाईसाहब मेरी भावी पत्नी और मैं एक दूसरे को हग करते हैं या किस करते हैं या फिर एक दूसरे के साथ किसी लोकेशन पर कुछ टाईम बिताते हैं…..ठीक है। कोई दिक्कत नहीं है।
परंतु हम दोनों के बीच जो हो रहा है …..वह पर्सनल है। मेरे और मेरी होने वाली पत्नी के बीच जो हो रहा है …..वह बहुत पर्सनल है।
जो पर्सनल है उसे कैमरामैन शूट करेगा और फिर शादी के दिन वो सब सारी दुनिया देखेगी।
भाई। लडके का संस्कारी उत्तर सुन कर और उसका तमतमाया हुआ चेहरा देख कर मैंने फिर कुछ नहीं कहा।
बंधु ने कहा….. ” मैं अपनी भावी पत्नी को बाहों में लेता हूं और उसे बाहों में लेते हुऐ मुझे कैमरा मैन देख रहा है……? यही सब करना है तो सीधा बेडरूम में सीसीटीवी कैमरा लगवा दो ना”
मैं तो उसी दिन समझ गया था की लड़का संस्कारी है, इसकी अपनी प्राथमिकता हैं और यो नहीं झुकेगा।
कन्या ( जो अब हमारी परम आदरणीय भाभी जी हैं) ……ने पूरा जोर लगा लिया। बातचीत बंद हो गई। दोनों परिवार वालों को काफी तनाव झेलना पड़ा। भावी वर और वधू का काफी मान मुन्नव्वल किया गया, लेकिन भाई नहीं माना। मजबूती से अपने विचारों पर डटा रहा। बोला नहीं होगा तो …… नहीं होगा ……।
खैर ……. विवाह हुआ ….. पूरे धूमधाम से हुआ। विवाह में खूब फोटो खींची गई।
लेकिन प्री वेडिंग शूट के नाम पर चल रहे ट्रेंड को भाई ने अपने विवाह से ऐसे दूर फेंक दिया जैसे कोई दूध में से मक्खी निकाल कर फेंक देता है।
कुल मिला कर बंधु की बात बहुत ध्यान देने वाली तो थी ही।
कुछ बातें कुछ लम्हें …….कुछ तस्वीरें ……पर्सनल होती हैं और बहुत अधिक पर्सनल होती हैं। व्यक्तिगत जीवन का एक अटूट हिस्सा होती हैं।
इस दौर में सबकी अपनी पसंद ……नापसंद है। सार्वजनिक कार्यक्रम में व्यक्तिगत तस्वीरों/वीडियो का प्रदर्शन कहां तक उचित है ? इस विषय पर तो विचार होना ही चाहिये।
आपकी बात बिल्कुल सही है। मैं पूर्ण रूप से आपसे सहमत हूँ
हर हर महादेव, आप ने समर्थन दिया। बहुत बहुत आभार आपका।