‘द बार काउंसिल ऑफ दिल्ली (BCD)’ ने एक वकील का लाइसेंस अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है।
अचानक से हिंदुओं के इस्लाम में धर्मांतरण और निकाह के बहुत सारे मामले जगजाहिर हो रहे हैं। अब नया मामला आया है दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट का जहां पर एक वकील पर आरोप है कि उसने अपने चैंबर का इस्तेमाल निकाह (इस्लामी शादी) और धर्मांतरण कराने के लिए किया है। इस बारे में BCD के सचिव ने गत 5 जुलाई को ये जानकारी दी है। साथ ही ~इकबाल मलिक~ नाम के इस वकील को ‘कारण बताओ नोटिस’ भी जारी कर दिया है।
नोटिस में लिखा गया है कि उन्होंने अपने इस कक्ष का प्रयोग अवैध और समाज विरोधी गतिविधियों के लिए किया है।
उक्त वकील धर्मांतरण कराने वाला एक ट्रस्ट भी चलाता है, ऐसा BCD ने पाया है। उस ट्रस्ट का संचालन भी उसी चैंबर से किया जाता था, तथा यहां निकाह करवाने वाले काजी का नाम मोहम्मद अकबर देहलवी है। बता दें कि इस संबंध में एक पीड़िता के पिता ने शिकायत भी दर्ज कराई है। शिकायत में कहा गया है कि इस चेंबर में हुए जबरन निकाह के बारे में जारी किए गए निकाह नामे के ऊपर इस चेंबर का नाम मजार वाली मस्जिद लिखा गया है। जिस कारण यह शिकायत बहुत गंभीर संकेत देने वाली है।
लीगल प्रोफेशन की गरिमा को धूमिल किया
पीड़िता के पिता का कहना है कि उनकी बेटी का धर्मांतरण करा के जबरन निकाह करा दिया गया। ‘अल-निकाह ट्रस्ट’ ने इस शादी का प्रमाण-पत्र जारी किया। BCD ने कहा है कि ऐसा कर के वकील ने लीगल प्रोफेशन की गरिमा को धूमिल किया है। इस बारे में‘बार काउंसिल ऑफ दिल्ली’ का कहना है कि कोर्ट परिसर का प्रयोग इस तरह की किसी भी गतिविधि को करने की अनुमति नहीं की जा सकती। इस बारे में परिषद के अध्यक्ष रमेश गुप्ता ने इसे एक असामान्य घटना मानते हुए इस पर कार्रवाई की है। इस बारे में उन्होंने तीन वकीलों की एक जांच कमेटी बनाई है जो इस पूरे प्रकरण की जांच करेगी इस जांच कमेटी में बी सी डी के उपाध्यक्ष विमल अख्तर पूर्व अध्यक्ष केसी मित्तल और पूर्व सचिव जयेंद्र सांगवान शामिल हैं।
इस बारे में अध्यक्ष रमेश गुप्ता ने बताया कि जब तक जांच कमेटी किसी अंतिम निर्णय तक नहीं पहुंचती है तब तक उक्त वकील का लाइसेंस निलंबित रहेगा, और वह कोर्ट में प्रैक्टिस नहीं कर सकेगा। अध्यक्ष ने आगे बताया कि उक्त वकील इकबाल मलिक को नोटिस में कहा गया है कि नोटिस मिलने के 7 दिनों के भीतर अपना उत्तर जांच समिति को दें। तथा इसके साथ ही कड़कड़डूमा कोर्ट के जिला जज (इंचार्ज) से निवेदन किया गया है कि वो इस वकील को आवंटित चेंबर रद्द करें और जांच खत्म होने तक उसे सील कर दें। “द बार काउंसिल ऑफ दिल्ली” ने इसे बहुत गंभीर मामला मानते हुए कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल, और दिल्ली पुलिस से भी जाँच में सहयोग के लिए निवेदन किया है।
गौरतलब बात यह है की आखिर यह कैसी मानसिकता है ? जो पढ़े लिखे बुद्धिजीवी लोगों को भी हिंदुओं के खिलाफ आपत्तिजनक कार्रवाइयां करने के लिए विवश करती है। ऐसा क्या कारण है ? की हर जगह निरंतर इस तरह के धर्मांतरण और जबरन निकाह करवाने के मामले सामने आ रहे हैं।
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