“Where humans are forbidden to go, the dead have slept, tombs have grown in the reserve forest of tigers.”
मंदिरों का देश बन रहा मजारों का देश, मजारों पे सिर पटकने वाले मजारी हिंदू बहुत खुश।
सनातन 🚩समाचार🌎 एक सोची-समझी रणनीति के अंतर्गत सारे देश में हर रोज नई-नई मजारें रातों-रात उग रही हैं। किंतु हद तो यह हो गई है कि जहां पर बाघों का बसेरा बनाया गया है वहां भी अब मजारे उग आई हैं। ना जाने वहां पर कौन से मुर्दे जाकर सो गए हैं ?
विवरण …….
अवैध मजारों के लिए कुख्यात हो चुका उत्तराखंड में अब विश्वविख्यात टाइगर रिजर्व जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में भी मजारे उगने लगी हैं। यहां ध्यान देने वाली बात यह है इस टाइगर रिजर्व पार्क में इंसानों के पैदल चलने की मनाही है, तो यहां पर मजार किसने कब और क्यों बना दी हैं ? इस तरफ किसी भी अधिकारी का ध्यान क्यों नहीं गया है ? इतना ही नहीं यहां एक पेड़ पर 1 टीन का पत्रा ठोक दिया गया है, जिस पर लिखा गया है कि यह कब्रिस्तान है यहां पर गंदगी ना फैलाएं वरना जुर्माना वसूल किया जाएगा।
यह सोचने वाली बात यह है कि इस कब्रिस्तान की मंजूरी कागजों में तो उत्तराखंड सरकार ने, ना उसके किसी विभाग ने दी है, फिर यहां कब्रिस्तान कैसे बन गया और कब्रिस्तान वाले किसकी आज्ञा से जुर्माने वसूल कर रहे हैं ? पता चला है कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में बनी अवैध मजारों के बाद अब यहां पर बने अवैध कब्रिस्तान में लोगों को दफनाया भी जा रहा है। मजे की बात यह है कि इतने बड़े स्तर पर बना दी गई अवैध मजारों पर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण कुछ भी बोलने के लिए तैयार नहीं है, और इसके साथ ही राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण भी चुप्पी साधे हुए हैं।
जबकि इन दोनों संस्थाओं की जिम्मेदारी है की अभयारण्य टाइगर रिजर्व की देखभाल की जाए। बता दें कि कानून के अनुसार इस इलाके में कोई भी किसी प्रकार का निर्माण नहीं कर सकता है। इसलिए यह सवाल तो बनता ही है कि यहां पर इतनी सारी मजारे कैसे बन गई ? यहां बहुत हास्य पद बात यह है कि जब भी इन मजारों के बारे में उत्तराखंड के जंगलात विभाग से या इस बाघों के लिए संरक्षित जंगल के बारे में अधिकारियों से सवाल किए जाते हैं तो उनका रटा रटाया एक ही उत्तर होता है कि यहां पर मजारे पहले से ही बनी हुई हैं।
किंतु स्थानीय निवासियों बताते हैं कि यहां पहले की कोई मजार नहीं थी। यह मजारे हाल ही में बनाई गई हैं। यहां पर कई स्थानों पर विभाग के द्वारा बोर्ड लगाए गए हैं कि पैदल चलना मना है फिर भी यहां पर रातों-रात मजारे उग रही हैं।
बताने की आवश्यकता नहीं है की मजारों का इस्लाम में कोई अस्तित्व नहीं है, और ना ही सनातन धर्म में इनका कोई अस्तित्व है। फिर भी यह एक कटु सत्य है कि देश में इन दिनों लाखों हिंदू इन मजारों पर सर पटकने जाते हैं।