🙏कृष्णम् वन्दे जगद्गुरुम् 🙏 भगवान श्री कृष्ण जी का प्राकट्य दिवस, श्री कृष्ण जन्माष्टमी सभी सनातनियों को बहुत-बहुत बधाइयां🌹
हम सनातनी अपना यह पवित्र त्योहार श्री कृष्ण जन्माष्टमी बहुत धूमधाम से मनाते हैं, बहुत श्रद्धा से मनाते हैं इसमें कोई संदेह नहीं है। और जन्माष्टमी है तो आज हमें इस विषय पर थोड़ी चर्चा भी कर लेनी चाहिए कि आखिर हमारे श्री कृष्ण भगवान जी क्या हैं कौन हैं उनका वास्तविक स्वरूप कैसा है, उनकी लीलाएं कैसी हैं ?
माखन चुराकर खाया
लीलाओं की बात आती है तो हम अक्सर यही सुनते हैं अपने कथा वाचकों से या भजनों में कि कृष्ण भगवान माखन चोर ठीक है – श्रद्धा है हम ये कहते हैं। परंतु एक चीज ध्यान देने वाली बात यह है कि जिस समय श्री कृष्ण भगवान जी साक्षात थे उस समय बच्चों के पास चुराने के लिए सहज में उपलब्ध माखन था तो उस समय श्री कृष्ण भगवान जी ने माखन चुराकर खाया और आज बच्चे उपलब्ध चॉकलेट चुराकर खाते हैं। तो ऐसे में प्रश्न पैदा होते हैं कि आखिर माखन चुराने में कोई बड़ी बात है क्या ?
मुरली बजाते हैं
बिल्कुल भी बड़ी बात नहीं है। हां बड़ी बात तो यह है कि श्री कृष्ण भगवान जी का जन्म ही शक्ति के प्रदर्शन से हुआ और अभी मात्र 4 दिन के पालने में हैं। दैत्य मारने आ गया तो पैर के अंगूठे के स्पर्श मात्र से दैत्य को पछाड़ दिया, निजधाम पहुंचा दिया – यह बड़ी बात है। हम अक्सर कथाओं में और भजनों में यह भी बहुत सुनते हैं मुरली वाला कान्हा जी मुरली बजाते हैं बंसी वादक हैं। ठीक है होंगे मुरली बजाने वाले इसमें संदेह नहीं है।
आज श्री कृष्ण जन्माष्टमी का शुभ दिवस पर हमें समझना चाहिए कि उस समय सहज उपलब्ध वाद्य यंत्र बांसुरी को बच्चे बजाया करते थे, और आज बच्चे मोबाइल पर गाने बजाते हैं। तो श्री कृष्ण भगवान जी ने बांसुरी बजा कर कोई बड़ा काम कर दिया क्या ? कोई बड़ा काम नहीं किया। हां बड़ा काम किया हमारे ठाकुरजी ने वह यह है कि बालपन है जंगलों में गाय सेवा करने गए, दैत्य बैल बनके उनको मारने के लिए आये तो उन दैत्यों को पूछ से पकड़ के घुमा घुमा के पछाड़ पछाड़ कर मार दिया। यह है उनका बड़ा काम।
वह हैं रणछोड़
क्या हम कभी भगवान जी के, अपने ठाकुर जी की इस बड़े काम की चर्चा करते हैं ? क्या हम यह जानते हैं कि उस समय जो एक भयानक कालिया नाग था जिसने उस क्षेत्र को संतप्त कर रखा था उसको कृष्ण भगवान जी ने वश में कर लिया। हम अक्सर अपने महावीर श्री कृष्ण एक अलंकार से भी विभूषित करते रहते हैं – वह हैं रणछोड़ ठीक है भाव है भाव में तो भक्त अपने आराध्य को कुछ भी कहे आप जैसे चाहें उनकी पूजा अर्चना करें बिल्कुल अच्छी बात है।
परंतु यह भी ध्यान दीजिए कि रणछोड़ का अर्थ होता है रणछोड़ यानी भगोड़ा। तो क्या हमारे महावीर हमारे अपने ठाकुर जी भगोड़ा थे ? नहीं काल यवन को मारना था तो एक सोची समझी रणनीति के अंतर्गत ठाकुर जी आगे आगे चले और काल यवन पीछे-पीछे।उसे गुफा में ले गए और युक्ति से उस अधर्मी का वध कर दिया,या कहो करवा दिया। तो महाबली नीतिकार योद्धा कृष्ण भगवान जी को रणछोड़ कहने की आवश्यकता क्यों है ? अगर हम रणछोड़ कहते ही हैं तो यह भी समझिए कि शायद इस रणछोड़ शब्द का ही प्रभाव है कि हिंदू जगह-जगह से अपना घर अपने कारोबार छोड़ कर भाग रहा है भगोड़ा हो रहा है ऐसी खबरें हर रोज खबरों में आती रहती है।
दोनों लिपटा चिपटी कर रहे हैं
श्री कृष्ण भगवान जी का स्मरण आते ही सबसे पहले जो हम हिंदुओं के दिमाग में छवि उपजती है वह यह है कि श्रृंगार करके कोई व्यक्ति खड़ा हुआ है, मुरली हाथ में है टेढ़ा तिरछा खड़ा हुआ है। साथ में कोई स्त्री है और दोनों लिपटा चिपटी कर रहे हैं। यह भी आज चिंतन करें कि क्या हमारे ठाकुरजी बांसुरी वादक हैं ? ऐसे आड़े तिरछे खड़े रहते हैं, क्या वह वाकई में श्रृंगार प्रेमी थे ?
यह प्रमाणिक है कि मात्र 13 वर्ष की आयु में भगवान श्री कृष्ण जी ने श्री मथुरा श्री वृंदावन क्षेत्र त्याग दिया था, और हमारे आराध्य देव ने स्वयं कहा है कि मुरली/ बांसुरी को तो मैं वृंदावन में ही छोड़ आया। और जो स्वरूप चित्रों में या मूर्तियों में हम देखते हैं वह तो किसी व्यस्क पुरुष का होता है जो बांसुरी के लिए खड़ा है। जबकि सत्य तो यह है कि मथुरा वृन्दावन त्यागने के बाद उन्होंने सदैव हाथों में शस्त्र धारण किए रखे। उनके हाथ में सदैव सुदर्शन चक्र शोभायमान रहा, जिससे उन्होंने असंख्य धर्म द्रोहियों का वध किया।
बांसुरी बजाना याद है परन्तु क्या हम हिंदुओं को यह भी समरण है कि श्री कृष्ण भगवान जी पांचजन्य शंख भी बजाया करते थे। शायद आप में से कईयों ने पांचजन्य शंख का नाम भी नहीं सुना होगा, आज श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन कृपा करके भगवान जी के वास्तविक स्वरूप का चिंतन भी करें। समरण करें कि भगवान जी कितने बड़े महायोगी हैं वह कहते हैं ए सुंदरी सीधी हो जा तो देखिए कुरूप स्त्री सुंदर हो गई कुब्जा कुबड़ी स्त्री सीधी हो गई।
नग्न स्त्रियों के कपड़े उठाने वाला
इतने बड़े महायोगी भगवान श्री कृष्ण जी को हम नचईया घोषित करते रहते हैं बांसुरी वादक चूड़ी बेचने वाला नग्न स्त्रियों के कपड़े उठाने वाला पर स्त्रियों के संग रात्रि को रास रचाने वाला घोषित करते रहते हैं। चलो ऐसा होगा भी इंकार भी नहीं कर सकते परंतु क्या यह आवश्यक है कि अपने जगत पिता के बारे में इस तरह की बातें सार्वजनिक रूप से की जाएं ?? ऐसी बहुत सारी बातों को समझने के लिए इस लेख/निवेदन के साथ डाली गई वीडियो को भी अवश्य देखें, ध्यान से देखें और उसे समझने का प्रयास करें।
🙏कृष्णम् वन्दे जगद्गुरुम् 🙏कृष्णम् वन्दे जगद्गुरुम् 🙏