“Situation like Kashmir” IPS Mamta Singh made a big disclosure, at night.”
जहां जहां हिंदू घटा वहां वहां कटा और देश बंटा – सुरेश चव्हाणके।
सनातन🚩समाचार🌍 मेवात में हिंदुओं पर हुए हमलों को 5 दिन बीत चुके हैं। किंतु अभी तक भयभीत कर देने वाली खबरें आने का सिलसिला जारी है। बताने की आवश्यकता नहीं है की हिंदुओं द्वारा मेवात में ब्रज मंडल यात्रा का आयोजन हर वर्ष किया जाता है। पर इस वर्ष की यात्रा में हिंदुओं पर मानो कहर ही टूट पड़ा है। मेवात में स्थापित हिंदुओं का प्रसिद्ध नल्लहड़ मंदिर सभी हिंदुओं की आस्था का केंद्र है। इसी शिव मंदिर में प्रत्येक श्रावण मास में हिंदू भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करने के लिए जाते हैं।
इस बार जब लगभग 3000 हिंदू इस मंदिर में पहुंच चुके थे उसी समय पीछे से हिंदुओं पर अल्लाह हू अकबर के नारों के साथ जोरदार हमले कर दिए गए, और उनकी सभी गाड़ियों को फूंक दिया गया। इन हमलों में कई हिंदू मारे गए और कई हिंदू लड़कियों को खेतों में खींच कर ले जाया गया। और जो हिंदू बच गए थे वह दौड़ कर मंदिर में चले गए। स्थिति इतनी गंभीर थी की मंदिर के आसपास की पहाड़ियों और झाड़ियों में से हिंदुओं पर लगातार गोलियां चलाई जा रही थीं, पेट्रोल बम फेंके जा रहे थे और पथराव भी किया जा रहा था।
पता चला है कि मजहबी नारे लगाने वाले अंधेरा होते ही मंदिर में घुसकर वहां हिंदुओं का कत्लेआम करके हिंदू लड़कियों और महिलाओं को का अपहरण करने वाले थे। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए मंदिर में फंसी हुई महिलाओं को बचाने के लिए अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून और व्यवस्था) ममता सिंह खुद मौके पर पहुंच गई, और इस्लामिक आतंकवादियों से घिरी हुई महिलाओं को अपनी जान जोखिम में डालकर बचा लिया। उस दिन के अपने खतरनाक अनुभव के बारे में आईपीएस अधिकारी ने बताया है कि 35/36 साल के पुलिस कैरियर में ऐसे मौके कम ही आते हैं जब आपका सामना इस तरह के हालात से होता है।
उस समय हालात पर काबू पाना, लोगों को भरोसा दिलाना और उन्हें सुरक्षित बाहर निकाल कर ले जाना जैसी चुनौतियों से एक साथ जूझना पड़ता है। ममता सिंह ने आगे बताया है कि जब मैं मंदिर पहुंची उस समय स्थिति बहुत क्रिटिकल थी। ढाई से तीन हजार लोग वहां घिरे हुए थे। चारों तरफ से फायरिंग हो रही थी। हमारी फोर्स वहां पर मौजूद थी पर इतनी संख्या में नहीं थी कि इतने लार्ज स्केल पर जिस तरह से फायरिंग हो रही थी उसमें घेराबंदी करके लोगों को सुरक्षित बाहर लेकर जा सके। क्योंकि निकलने का रास्ता केवल एक ही था। आईपीएस अधिकारी ममता सिंह के अनुसार मंदिर में फंसे लोगों में महिलाएं छोटे बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल थे।
आसपास की पहाड़ियों से फायरिंग हो रही थी। वे लोग जानबूझकर वहां फायरिंग करते थे जिधर भीड़ अधिक होती थी ताकि नुकसान ज्यादा हो। अंधेरा होने के बाद भी फायरिंग नहीं रुकी तो हमें लगा कि स्थिति अब और खराब हो सकती है, फिर हमने टुकड़ियों में लोगों को निकालने का फैसला किया। कवर देते हुए लोगों को जब हम बाहर निकाल रहे थे तब भी हमारे ऊपर फायरिंग हुई, किस्मत से फायर एक गाड़ी को लगी। फिर देर रात तक टुकड़ियों में लोगों को बाहर निकालने का सिलसिला लगाता चलता रहा।
इस जांबाज़ अधिकारी के अनुसार गाड़ियों को आग लगाए जाने के कारण और सीएनजी सिलेंडर से ब्लास्ट करने के कारण मंदिर के बाहर वाली सड़क से लोगों को निकाल कर ले जाना आसान नहीं था। इसलिए खेतों के रास्ते से लोगों को बाहर निकाल कर लाया गया। यह भी पता चला है कि हिंदुओं का सफाया करने वालों में रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुसलमान भी शामिल थे। हिंदुओं पर किए गए हमलों के बाद पुलिस द्वारा की गई जांच में यह बात सामने आई है।
जिसकी पुष्टि होने पर राज्य सरकार ने रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुसलमानों की लगभग 300 झुग्गियों पर बुलडोजर चला दिया है। जांच में पाया गया था कि यह सभी लोग अवैध घुसपैठिए हैं। बताया जा रहा है कि मेवात के कई इलाकों में यह अवैध घुसपैठिए रह रहे हैं जिनमें तावडू, पुनहाना, पिनगमा, फिरोजपुर,नगीना और झिरका इत्यादि शामिल हैं।